वाशिंगटन, 10 जून (एजेंसी) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि वह यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से लगभग 30 देशों द्वारा खाद्यान्न और ईंधन सहित अन्य जरूरी वस्तुओं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ने और बाजारों के अस्थिर होने का जोखिम है। आईएमएफ ने हाल ही में गेहूं के निर्यात पर घोषित प्रतिबंध में ढील देने और कुछ माल को भेजने की अनुमति देने के भारत सरकार के हालिया फैसले का स्वागत भी किया। आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम खाद्य वस्तुओं, ईंधन और उर्वरकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदमों से बहुत चिंतित हैं, जो वैश्विक स्तर पर मूल्य वृद्धि तथा बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं। इसलिए, यह मुद्दा भारत से कहीं आगे है। भारत से जुड़े एक सवाल पर राइस ने कहा कि हमारी निगरानी से संकेत मिलता है कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से लगभग 30 देशों ने खाद्यान्न और ईंधन सहित अन्य जरूरी सामान के निर्यात में कटौती की है। इसलिए, हम इसे लेकर बहुत चिंतित हैं। (आईएमएफ की प्रबंधक निदेशक) क्रिस्टलीना जॉर्जीवा इस मुद्दे पर काफी मुखर रही हैं। (प्रथम उप प्रबंध निदेशक) गीता गोपीनाथ ने भी कल दोबारा यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि भारत के संबंध में हम हाल ही में गेहूं के निर्यात पर घोषित मूल प्रतिबंध में ढील देने और कुछ माल को भेजने की इजाजत देने के उसके फैसले का स्वागत करते हैं, जिनमें पहले से अनुबंधित माल और खाद्य सुरक्षा जरूरतों वाले देशों के लिए निर्यात शामिल है। हम न केवल भारत, बल्कि उन सभी देशों से प्रतिबंधों में और ढील देने की उम्मीद करते हैं, जिन्होंने इन्हें लागू किया है। भारत ने पिछले महीने भीषण गर्मी से उत्पादन घटाने की आशंका के मद्देनजर बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।