शांति का योद्धा
एकदा
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिक डेसमंड डॉस ने एक असाधारण निर्णय लिया — वह युद्ध में जाएगा, लेकिन बिना हथियार उठाए। उसका विश्वास था कि जीवन देना उसका धर्म है, न कि लेना। साथियों ने उसका मजाक उड़ाया, उसे डरपोक कहा और अपमानित किया, लेकिन वह अडिग रहा। वह सैन्य डॉक्टर बना और जापान के भयंकर ओकिनावा युद्ध में तैनात हुआ। एक दिन जब गोलाबारी के बीच सभी सैनिक पीछे हट चुके थे, डॉस अकेला युद्धभूमि में रुका रहा और एक-एक कर 75 घायल सैनिकों को अपने कंधे पर उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। उसके पास न बंदूक थी, न ढाल — सिर्फ संकल्प और मानवता का साहस। अद्वितीय योगदान के लिए डेसमंड डॉस को अमेरिका का सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘मेडल ऑफ ऑनर’ दिया गया। यह सम्मान पाने वाला वह पहला व्यक्ति था जिसने युद्ध में हथियार नहीं उठाए।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार
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