मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

सादगी की शक्ति

एकदा
Advertisement

एक बार लोकनायक जयप्रकाश नारायण जेल में पानी पीने के लिए लंबी कतार में काफी देर तक खड़े रहे। बुजुर्ग होने के बावजूद वे खामोश और शांत थे। उस समय उनका नाम पूरे देश में जाना जाता था। उनके ठीक बगल में तस्कर हाजी मस्तान भी खड़ा था, जो लगातार नखरे कर रहा था और जेल में भी रौब दिखा रहा था। यह घटना 1975 की है, जब देश में आपातकाल लागू थी। मस्तान को भी जेल जाना पड़ा, लेकिन जेल में भी उसका वीआईपी रुतबा बना रहा। वह अधिकारियों को फटकारता, आदेश देता और खास सुविधा पाने की कोशिश करता। लेकिन जब उसने जयप्रकाश नारायण को साधारण कैदी की तरह कतार में खड़े देखा — बिना किसी शिकायत या विशेष सुविधा के — तो वह भीतर से हिल गया। जेपी की सादगी, संयम और विचारों ने मस्तान को गहराई से प्रभावित किया। करीब 18 महीने बाद जब मस्तान जेल से बाहर आया, तो उसने अपराध की दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उस समय देश के प्रमुख अख़बारों ने इस घटना को सचित्र प्रकाशित किया था। उन तस्वीरों में देखा जा सकता था कि कैसे जयप्रकाश नारायण के सामने हाजी मस्तान, यूसुफ पटेल, सुकरनारायण बखिया जैसे कुख्यात तस्कर ईमानदारी और सादगीपूर्ण जीवन जीने की सौगंध ले रहे थे।

Advertisement
Advertisement
Show comments