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संतान प्राप्ति की आकांक्षा व आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र

कमलेश्वर मंदिर
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मंदिर का नाम भगवान राम द्वारा 108 कमलों से भगवान शिव की उपासना के बाद पड़ा। माना जाता है कि त्रेतायुग में श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा अनुसार भगवान शिव की आराधना करने के लिए यहां आकर 108 कमलों से पूजा की थी। यहां निःसंतान दंपति रातभर जागरण और जाप करते हुए जलते हुए दीपक को हाथ में रखकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और सुबह दीपक अलकनंदा नदी में प्रवाहित कर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

कमलेश भट्ट

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उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर अति प्राचीन और आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि संतान प्राप्ति की कामना लेकर आने वाले निःसंतान दंपतियों की इच्छाएं भी पूरी करता है। हर वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी, महाशिवरात्रि और अचला सप्तमी के अवसर पर यहां भक्तों का विशेष रूप से तांता लगता है।

मंदिर का नाम भगवान राम द्वारा 108 कमलों से भगवान शिव की उपासना के बाद पड़ा। यह माना जाता है कि त्रेतायुग में श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा अनुसार भगवान शिव की आराधना करने के लिए यहां आकर 108 कमलों से पूजा की थी। सतयुग में भगवान विष्णु ने यहां शिव को सहस्र कमल चढ़ाकर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जामवंती के कहने पर ‘खड़ा दीपक व्रत’ किया, जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

संतान के लिए विशेष पूजा

हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व यहां धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर निःसंतान दंपति रातभर जागरण और जाप करते हुए जलते हुए दीपक को हाथ में रखकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। सुबह के समय दीपक को अलकनंदा नदी में प्रवाहित कर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस साधना से संतान प्राप्ति की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। अचला सप्तमी (घृत कमल पूजा) और महाशिवरात्रि के अवसर पर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। घृत कमल पूजा के दौरान भक्त विशेष विधि से भगवान शिव को तिल के तेल से दीप जलाकर अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।

अटूट आस्था का केंद्र

कमलेश्वर मंदिर न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि स्थानीय और दूर-दराज के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक भी है। भक्तों का मानना है कि यहां की गई आराधना उनके जीवन को सुख-समृद्धि और संतान सुख प्रदान करती है।

फोटो स्रोतः एक्स अकाउंट डीपीआर पौड़ी X/@pauridistrict

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