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साहस की परीक्षा

एकदा
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मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह के पुत्र कुमार शक्तावत बड़े बहादुर और निर्भीक थे। एक बार महाराणा ने एक नई तलवार धार की परीक्षा के लिए अपने सेवक को दी। सेवक ने कपड़े की एक मोटी तह बनाई और बार-बार उसे तलवार पर फेरकर धार की परीक्षा करने लगा। कुमार शक्तावत यह सब बड़े गौर से देख रहे थे। उनसे रहा न गया और बोल पड़े, ‘अरे मूर्ख! जिस तलवार से शत्रु का सिर कलम किया जाएगा, उसकी धार की परीक्षा कपड़े पर नहीं की जाती।’ इतना कहकर उन्होंने सेवक से तलवार झटक ली और अपनी अंगुली पर तलवार से हल्का वार किया। अंगुली कटकर अलग हो गयी, लेकिन कुमार शक्तावत के मुंह से ‘उफ’ तक नहीं निकली। कुमार शक्तावत मुस्कुराकर सेवक से बोले, ‘इस प्रकार की जाती है धार की परीक्षा।

प्रस्तुति : पुष्पेश कुमार पुष्प

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