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स्वराज ही मेरी जन्नत

एकदा
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देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद होने वाले पहली पंक्ति के नेता पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां गहरे दोस्त थे। दोनों पक्के देशभक्त थे। वे हिंदू-मुस्लिम दोस्त पहले शहीद थे जिन्होंने अपनी शहादत देकर हिंदू मुस्लिम भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया। जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो अशफाक उल्ला खां पर मुसलमानों ने बहुत दबाव डाला कि वह माफी मांग कर बरी हो जाएं। उनके चाचा हबीबुल्लाह बड़े पुलिस अधिकारी थे। उनके सहित सभी लोगों ने उन्हें समझाया कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल कट्टर हिंदू हैं। यदि हिंदुस्तान आजाद भी हो गया तो इस पर हिंदुओं का राज होगा। मुसलमानों को कुछ नहीं मिलेगा तो तुम क्यों व्यर्थ में अपना बलिदान देते हो। तब देशभक्त शहीद अशफाक उल्ला खां ने कहा कि मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान, मुझे तो यह पता है कि हम दोनों की मां भारत माता है। जिसकी रक्षा करना हम सब का धर्म है । चाहे राज किसी का भी आए वह होगा तो स्वराज ही। इसलिए स्वराज ही मेरी जन्नत है। यही मेरा स्वर्ग है।

-धर्मदेव विद्यार्थी

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