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Surya Grahan 2025: इस बार अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण, पढ़ें श्राद्ध कर सकते हैं या नहीं

Surya Grahan 2025:: इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्रग्रहण से हुई थी और समापन सूर्यग्रहण से हो रहा है। यह साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आश्विन अमावस्या के दिन, यानी पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या पर लगने जा रहा...
सांकेतिक फाइल फोटो।
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Surya Grahan 2025:: इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्रग्रहण से हुई थी और समापन सूर्यग्रहण से हो रहा है। यह साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आश्विन अमावस्या के दिन, यानी पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या पर लगने जा रहा है। इस दिन पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। सामान्य मान्यता है कि अमावस्या पर स्नान, दान और पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण करने से पितृदोष का नाश होता है और सुख-समृद्धि मिलती है।

पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या की तिथि 20 सितंबर रात्रि 12:16 बजे से प्रारंभ होकर 21 सितंबर देर रात्रि 1:23 बजे समाप्त होगी। यानी 21 सितंबर को पूरा दिन अमावस्या तिथि रहेगी। उसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जिसका आरंभ रात 10:39 बजे से होकर 22 सितंबर तड़के 3:29 बजे तक रहेगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका के क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से नजर आएगा।

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धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत में ग्रहण दिखाई न देने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसलिए अमावस्या पर तर्पण और श्राद्ध कर्म सामान्य रूप से किए जा सकते हैं। शास्त्री का कहना है कि सूर्य ग्रहण भारत में न दिखने से इसके कारण श्राद्ध या तर्पण में कोई बाधा नहीं आएगी।

वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि ग्रहण चाहे भारत में दिखाई दे या न दे, सूतक का प्रभाव सार्वभौमिक माना जाना चाहिए। लेकिन, इसके बावजूद आम तौर पर मान्यता यही है कि ग्रहण का प्रभाव उसी स्थान पर मान्य होता है, जहां यह प्रत्यक्ष दिखाई देता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक विशेष खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है।

Panchang 19 September 2025: राष्ट्रीय मिति भाद्रपद 28, शक संवत 1947

विक्रम संवत 2082

मास (चंद्र) आश्विन, कृष्ण पक्ष

तिथि त्रयोदशी (रात्रि 11:37 बजे तक), उपरांत चतुर्दशी

वार शुक्रवार

सौर मास आश्विन मास प्रविष्टे 04

अंग्रेजी तिथि 19 सितम्बर 2025 ई॰

सूर्य स्थिति दक्षिणायन, दक्षिण गोल

ऋतु शरद ऋतु

राहुकाल प्रातः 10:30 बजे – 12:00 बजे

नक्षत्र अश्लेषा (प्रातः 7:06 बजे तक), उपरांत मघा

योग सिद्धि (रात्रि 8:47 बजे तक), उपरांत साध्य

करण गर (रात्रि 11:28 बजे तक), उपरांत विष्टि

चन्द्र राशि कर्क (प्रातः 7:06 बजे तक), उपरांत सिंह

विजय मुहूर्त दोपहर 2:17 बजे से 3:06 बजे तक

निशीथ काल रात्रि 11:51 बजे से 12:38 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त 11:50 बजे से 12:39 बजे तक

गोधूलि बेला शाम 6:21 बजे से 6:45 बजे तक

विशेष त्रयोदशी का श्राद्ध

डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

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