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आलोचना से संबल

फ्लोरेंस के प्रख्यात मूर्तिकार दोनातेल्यो की कलाकृति की प्राय: निंदा हुआ करती थी। एक बार पीसा से उन्हें कुछ कलाकृतियों के निर्माण के लिए आमंत्रित किया गया। पीसा जाकर उन्होंने कुछ कलाकृतियां बनायीं। उनकी बनाई हुई कलाकृतियों की खूब प्रशंसा...
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फ्लोरेंस के प्रख्यात मूर्तिकार दोनातेल्यो की कलाकृति की प्राय: निंदा हुआ करती थी। एक बार पीसा से उन्हें कुछ कलाकृतियों के निर्माण के लिए आमंत्रित किया गया। पीसा जाकर उन्होंने कुछ कलाकृतियां बनायीं। उनकी बनाई हुई कलाकृतियों की खूब प्रशंसा हुई। उनकी बेहतरीन कलाकृतियों को देखते हुए कुछ और मूर्तियाें के निर्माण का काम सौंपा गया, लेकिन उन्होंने वहां और मूर्तियां बनाने से साफ इंकार कर दिया। जब उनके एक मित्र ने कारण जानना चाहा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘इतनी प्रशंसा सुनकर कहीं मैं इतना आत्मसंतुष्ट न हो जाऊं कि मेरी कला ही अवरुद्ध हो जाए। फ्लोरेंस में मैं अपने आलोचकों के कारण अपनी कलाकृति से संतुष्ट नहीं हो पाता हूं और अपनी कलाकृति में अधिक से अधिक निखार लाने का प्रयास करता हूं। वे मेरे आलोचक जरूर हैं, लेकिन मेरे सच्चे हितैषी वही हैं।’

प्रस्तुति : पुष्पेश कुमार पुष्प

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Tags :
आलोचना
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