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Stampede in Maha Kumbh : भगदड़ में घायल लोगों ने सुनाई आप बीती, कहा- ब्रह्ममूर्त स्नान के इंतजार में था, और फिर...

मैंने मोबाइल पर देखा था कि सुबह 4:15 का स्नान का मुहूर्त है और इसी के इंतजार में बैठा था
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प्रयागराज, 30 जनवरी (भाषा)

प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल के सर्जरी वार्ड और सर्जिकल इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती घायलों को अब भी ठीक से नहीं मालूम कि मंगलवार देर रात भगदड़ कैसे मची। एक पीड़ित को बस इतना भर याद है कि वह ब्रह्ममूर्त के स्नान के इंतजार में था। मौनी अमावस्या के स्नान के लिए मंगलवार देर रात उमड़ी भीड़ में मची भगदड़ की घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी।

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घटना के पीड़ित ने प्रशांत पटेल ने कहा, “मैंने मोबाइल पर देखा था कि सुबह 4:15 का स्नान का मुहूर्त है और इसी के इंतजार में बैठा था। फिर अचानक भीड़ आई और मैं उसमें दब गया। फिर मुझे कुछ भी याद नहीं।” उनकी एक आंख पर पट्टी बंधी हुई है। जब मुझे होश आया तो मेरी एक आंख पर पट्टी बंधी हुई थी और दूसरी आंख से यह जान पाया कि मैं अब अस्पताल में हूं।” प्रशांत झांसी में रेलवे में अप्रेंटिस हैं और मौनी अमावस्या के लिए छुट्टी लेकर संगम घाट पर स्नान के लिए आए थे।

आज यहीं पर घायलों का हालचाल लेने पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यहां 36 घायलों का इलाज चल रहा है। सभी का बहुत अच्छे से इलाज हो रहा है और उनके तीमारदारों के लिए भी व्यवस्था की गई है। ये लोग अलग अलग जगह से हैं.. कोई देवरिया से है, कोई दिल्ली से है। इनका समुचित इलाज होगा और ठीक होने पर इन्हें इनके परिजनों के साथ भेजा जाएगा। इन लोगों में कोई गंभीर स्थिति में नहीं है। कुछ लोगों की हड्डी टूटी है जिन्हें ठीक होने में दो से चार सप्ताह लग सकते हैं। ऐसे दो-तीन मामले हैं।”

मौनी अमावस्या स्नान के लिए महाराष्ट्र के जलगांव से आई अर्चना भगदड़ की घटना को याद करके सहम जाती हैं। वह कहती हैं, “हम लोग संगम स्नान की तैयारी में थे कि अचानक भीड़ आई और ना मालूम मुझे कितने लोग रौंधते हुए निकल गए।” इस घटना में उनके कमर में चोट आई है और उनका यहां इलाज चल रहा है। पचहत्तर वर्षीय सूखा देवी भी भगदड़ के घायलों में से एक हैं।

उनके बेटे राम प्रसाद यादव बताते हैं कि उन्होंने अपनी मां को स्नान कराकर घाट के पास बैठा दिया था और कपड़े, मोबाइल, कुछ रुपयों से भरा थैला उन्हें सौंप दिया था। मैं जैसे ही स्नान के लिए गया, तभी अचानक भीड़ आ गई। उस भीड़ ने मेरी मां को बेरहमी से कुचल दिया। इससे उनके सीने में चोट आई है। उनकी मां का एक्सरे हो गया है। उनको इस बात की तो खुशी है कि इलाज ठीक ठाक चल रहा है, लेकिन मोबाइल और पैसे भरा थैला गुम हो जाने का मलाल भी है।

वार्ड में दूसरी तरफ एक पलंग पर लेटी नवंग देवी बिहार के डुमरी छपिया से हैं। उन्हें तो इस घटना के बारे में कुछ भी याद नहीं। यहां तक कि नवंग देवी तो अपने घर का पता भी बताने में असमर्थ हैं। एसआरएन अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक कार्यालय में कार्यरत डॉक्टर सोनू सिंह ने बताया कि अस्पताल के लोग विभिन्न माध्यमों से नवंग देवी के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

डॉक्टर सोनू सिंह ने यह भी बताया कि भगदड़ में घायल लोगों के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था की गई है जिससे पीड़ितों के परिजन आसानी से वहां पहुंच सकें। उल्लेखनीय है कि मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर हुई भगदड़ में 60 लोग घायल हुए थे जिनमें से 36 लोगों का अब भी एसआरएन अस्पताल में इलाज चल रहा है और बाकी लोगों को प्राथमिक उपचार कर छुट्टी दे दी गई है।

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