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खामोश क्रांति

एकदा
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एक सुबह, लंदन के सेंट मेरी अस्पताल की प्रयोगशाला में स्कॉटिश वैज्ञानिक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग छुट्टियों से लौटकर अपने कार्यस्थल पहुंचे। उन्होंने देखा कि प्रयोगशाला में रखी बैक्टीरिया से भरी कुछ पेट्री डिशें खुली रह गई थीं। हैरानी की बात यह थी कि उनमें से एक डिश में एक अनजान फफूंद उग आया था। सामान्यतः कोई और वैज्ञानिक इसे कचरे में फेंक देता, लेकिन फ्लेमिंग की दृष्टि गहरी थी। उन्होंने गौर किया कि उस फफूंद के चारों ओर के बैक्टीरिया मर चुके थे। यह एक छोटी-सी, किंतु निर्णायक घटना थी। उन्होंने उस फफूंद पर शोध शुरू किया और पता लगाया कि यह ‘पेनिसिलियम नोटेटम’ नामक एक कवक है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। यही खोज आगे चलकर ‘पेनिसिलिन’ के जन्म का आधार बनी—दुनिया का पहला प्रभावी एंटीबायोटिक, जिसने लाखों लोगों की जान बचाई। उन्होंने बाद में लिखा—कभी-कभी महत्वपूर्ण खोजें प्रयोगशाला में शोर नहीं करतीं—वे चुपचाप कोने में बैठी होती हैं, केवल देखने वाले की प्रतीक्षा में।

प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार

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