मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Panchang 27 September 2025: शारदीय नवरात्र का आज पांचवां दिन, यहां मां स्कंदमाता की पूजा विधि एवं मंत्र

Shardiya Navratri 2025: आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। यानी आज शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन है। पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। भगवान कार्तिकेय अर्थात स्कंद की...
Advertisement

Shardiya Navratri 2025: आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। यानी आज शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन है। पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। भगवान कार्तिकेय अर्थात स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। भगवान स्कंद को कुमार कार्तिकेय भी कहा जाता है, जिन्होंने देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति के रूप में नेतृत्व किया।

पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक शास्त्रों में वर्णित है कि मां स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी भुजा में कमल पुष्प है, बाईं भुजा वरमुद्रा में है और अन्य हाथों में भी कमल पुष्प धारण किए हुए हैं। ये कमल पर विराजमान रहती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहते हैं। इनका वाहन सिंह है।

Advertisement

शास्त्रों में नवरात्रि के पांचवें दिन की साधना का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इस समय साधक का मन सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शुद्ध चैतन्य की ओर अग्रसर होता है। भक्त जब एकाग्र होकर स्कंदमाता की आराधना करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे परम शांति तथा सुख का अनुभव होता है। यह उपासना मोक्ष का मार्ग भी सुलभ बनाती है।

स्कंदमाता की विशेषता यह है कि इनकी पूजा से भगवान स्कंद की उपासना स्वतः ही हो जाती है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री होने के कारण इनके उपासक को दिव्य तेज और कांति प्राप्त होती है। एक अदृश्य प्रभामंडल उसे सदैव आभामंडित करता है और योगक्षेम का निर्वहन करता है।

इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है। मां की गोद में बालरूप स्कंद विराजमान रहते हैं। भक्तों को चाहिए कि वे पवित्र मन से ध्यान करें और मां की शरण ग्रहण करें।

पूजन के समय यह श्लोक जपना अत्यंत फलदायी माना गया है— “या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’’

पूजा विधि

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर पीले वस्त्र से ढकी चौकी पर मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, वस्त्र और श्रृंगार अर्पित करें। स्कंदमाता मंत्र का 108 बार जाप कर इलायची, लौंग, पान पत्र और माला अर्पित करें। तत्पश्चात दुर्गा सप्तशती और व्रत कथा का पाठ कर आरती करें और प्रसाद वितरित करें। इस दिन मां को पीले फल, फूल व मिठाइयां अर्पित करना शुभ है। विशेषतः केसर की खीर, पांच हरी इलायची और लोंग चढ़ाना अत्यंत फलदायी होता है।

Panchang 27 September 2025: राष्ट्रीय मिति आश्विन 05

शक संवत 1947

विक्रम संवत 2082

मास आश्विन (शुक्ल पक्ष)

तिथि पंचमी मध्याह्न 12:04 तक, उपरांत षष्ठी आरंभ

वार शनिवार

सौर मास आश्विन प्रविष्टे 12

अंग्रेज़ी तिथि 27 सितम्बर 2025 ई.

सूर्य स्थिति दक्षिणायन, दक्षिण गोल

ऋतु शरद ऋतु

राहुकाल प्रातः 09:00 से 10:30 तक

नक्षत्र अनुराधा अर्धरात्रि 01:08 तक, उपरांत ज्येष्ठा

योग प्रीति रात्रि 11:46 तक, उपरांत आयुष्मान

करण बालव 12:04 तक, उपरांत तैतिल

विजय मुहूर्त दोपहर 2:12 से 3:00 तक

निशीथ काल रात 11:48 से 12:36 तक

गोधूलि बेला शाम 6:12 से 6:36 तक

चन्द्रमा की राशि वृश्चिक राशि

डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

Advertisement
Tags :
Hindi NewsNavratriNavratri 2025PanchangPanchang 27 September 2025Religion NewsSharadiya Navratri 2025Skandamata MantraSkandamata Puja Vidhiधर्म समाचारनवरात्रनवरात्रि 2025पंचांगपंचांग 27 सितंबर 2025शारदीय नवरात्रि 2025स्कंदमाता पूजा विधिस्कंदमाता मंत्रहिंदी समाचार
Show comments