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स्वदेशी का गर्व

एकदा
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एक बार डॉ. कलाम ने तीन प्रमुख संस्थानों के साथ मिलकर पोलियोग्रस्त बच्चों के लिए हल्के कैलिपर का एक बेहतरीन तोहफा तैयार किया था, जो कार्बन सामग्री से निर्मित था। एक दिन एक पत्रकार ने उनसे पूछा, ‘सर, आपने स्वदेश में हल्के कैलिपर का निर्माण करके पूरे विश्व के सामने भारत का सिर ऊंचा कर दिया है।’ दूसरा पत्रकार बोला, ‘भारत अब आत्मनिर्भर बन गया है और स्वदेश में ही अनेक तकनीकों का निर्माण कर सकता है।’ तब कलाम अपने चिरपरिचित अंदाज में मुस्कुराकर बोले, ‘मैं तो स्वयं यह कहता हूं कि हमारे पास आश्चर्यजनक सफलताओं का पूरा इतिहास है। भारत प्रारंभ से ही विश्वगुरु के रूप में प्रसिद्ध रहा है। हमारा भारत हर चीज में अग्रणी है। गेहूं और चावल उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। दूध के उत्पादन में पहला स्थान है। दूरसंचार उपग्रह के विकास में हम पहले स्थान पर हैं। हमारी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास लाजवाब हैं। हमें हर स्वदेशी सफलता पर गर्व करना चाहिए।

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