एक बार की बात है। कक्षा में एक उम्रदराज अनुभवी शिक्षिका मिस हूवर छात्रों को पढ़ा रही थीं। उसने महसूस किया कि छात्र एक कागज के टुकड़े की गोली बनाकर एक-दूसरे को पास कर रहे हैं। जब वह टुकड़ा आखिरी छात्र के पास पहुंचा, तो मिस हूवर ने वह टुकड़ा उस छात्र से ले लिया और उसे खोल कर पढ़ा। उस कागज के टुकड़े पर मिस हूवर के बारे में अभद्र टिप्पणी लिखी थी—‘मिस हूवर एक बूढ़ी गाय हैं।’ छात्र अपनी शरारत से डर गए। डरे-सहमे छात्रों ने अपराध बोध से अपनी नज़रें नीची कर लीं लेकिन मिस हूवर ने छात्रों की इस बदतमीजी के लिए न तो उन्हें डांटा और न ही कोई दंड दिया बल्कि मुस्कुराते हुए कहा, ‘इस नोट में एक भी गलत वर्तनी वाला शब्द नहीं है।’ मिस हूवर के साथी अध्यापकों को जब इस घटना का पता चला तो उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि उन्होंने छात्रों को दंडित क्यों नहीं किया। मिस हूवर ने कहा, ‘हमें नकारात्मक स्थिति को सकारात्मक स्थिति में बदलने की कोशिश करनी चाहिए। परेशान होने, गुस्सा करने से समस्याएं पैदा होती हैं। दूसरों के साथ कोमलता से पेश आना ही उचित तरीका है।
प्रस्तुति : मधुसूदन शर्मा