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Pauranik Kathayen : श्रीकृष्ण को छोड़कर राधा रानी ने क्यों किया अयान से विवाह?

Pauranik Kathayen : श्रीकृष्ण को छोड़कर राधा रानी ने क्यों किया अयान से विवाह?
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चंडीगढ़, 10 फरवरी (ट्रिन्यू)

भारतीय लोग राधा और कृष्ण के बीच शाश्वत प्रेम को समझाने वाली कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतना प्यार होने के बाद भी उन्होंने शादी क्योंं की।

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श्रीकृष्ण और राधा जी ने क्योंं नहीं की शादी?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें जबकि राधा रानी माता लक्ष्मी का अवतार थी। द्वापर युग में दोनों के बीच प्यार हुआ, लेकिन वह कभी एक नहीं हो पाए। कई लोगों का मानना ​​है कि राधा-श्रीकृष्ण दोनों ने दुनिया को अपना प्यार दिखाने या साबित करने के लिए कभी भी एक-दूसरे से शादी करने की जरूरत महसूस नहीं की।

चूंकि दोनों एक ही थे इसलिए उन्होंने कभी शादी नहीं की। शादी के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। राधा जीवात्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं जबकि श्री कृष्ण परमात्मा हैं। राधा का निस्वार्थ प्रेम भक्ति का सर्वोच्च रूप था और इसलिए वह खुद को समर्पित करके श्री कृष्ण में विलीन हो गईं। वह उनके साथ एक हो गई थीं, इसलिए विवाह की कोई आवश्यकता नहीं थी।

राधा रानी ने क्यों किया अयान ने विवाह?

बंगाल में रचित मध्यकालीन पदावली काव्य के अनुसार राधा का विवाह अयान या अभिमन्यु नामक व्यक्ति से हुआ था। अयान भगवान विष्णु का भक्त था, जिन्होंंने मां लक्ष्मी को पाने के लिए कई वर्षों तक श्रीहरि का चिंतन और प्रार्थना की। अयान की भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया कि वह अपने भावी अवतार में लक्ष्मी से विवाह करेगा।

अयान को मिला था मां लक्ष्मी से विवाह का वरदान

भले ही अयान ने राधा रानी से शादी की लेकिन वह कभी उन्हें छू नहीं पाया था। हालांकि, वे इस तथ्य से वाकिफ थे कि राधा के रूप में लक्ष्मी का अवतार सिर्फ अयान की पिछली इच्छा को पूरा करने के लिए था। श्रीकृष्ण के लिए उसकी भावनाओं के बावजूद राधा जी को अयान से विवाह करना पड़ा। देवी लक्ष्मी ने रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवंती और अंत में राधा के रूप में अवतार लिया।

इस तरह एक हुए राधा-श्रीकृष्ण

भले ही वह राधा के रूप में श्रीकृष्ण से विवाह नहीं कर पाई, लेकिन बाकी तीनों अवतार में उन्होंंने एक-दूसरे को पा लिया था। कहा जाता है कि राधा, श्रीकृष्ण में आध्यात्मिक रूप से विलीन हो गई थीं। राधा ने श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनते-सुनते अपने शरीर का त्याग कर दिया था।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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