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Pauranik Kathayen : जब भगवान शिव का दिया वरदान उनके लिए ही बन गया था मुसीबत, विष्णु जी ने नारी रूप में बचाई थी लाज

राक्षस व असुर भी भगवान शिव की अराधना करके वरदान प्राप्त कर लिया करते थे
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हिंदू धर्म में सावन महीने का बहुत ही महत्व है। इस दौरान भगवान शिव की अराधना की जाती है। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव धरती का भ्रमण करते हैं। चलिए आज हम आपको सावन महीने के इस मौके पर भगवान शिव से जुड़ी एक दिलचस्प कथा सुनाते हैं...

भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। राक्षस व असुर भगवान शिव की अराधना करके वरदान प्राप्त कर लिया करते थे। राक्षस भस्मासुर ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी घोर तपस्या की। भोलेनाथ तपस्या से प्रसन्न हो गए और उसे दर्शन देकर मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। तब राक्षस भस्मासुर ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि वो जिस किसी भी व्यक्ति या देव के सिर पर हाथ रखे वो उसी पल भस्म हो जाए।

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उनकी तपस्या से प्रसन्न भोलेनाथ ने भी उन्हें ये वरदान देकर तथास्तु कह दिया। भगवान शिव से मनचाहा वरदान पाकर जब भस्मासुर असुरलोक लौट रहा था तो उनकी नजर माता पार्वती पर पड़ी। वह माता की सुंदरता को देखते ही मोहित हो गया। माता को पाने की चाह में उनका पीछा करने लगा। जब भस्मासुर को पता चला कि माता पार्वती भोलेनाथ की पत्नी है तो उनके भगवान शिव को ही भस्म करने की ठान ली।

भगवान विष्णु स्त्री रूप मोहिनी धारण करके भस्मासुर के सामने आए और अपनी सुंदरता से उनका मन मोह लिया। तब भगवान विष्णु ने भस्मासुर को फंसाकर अपने साथ नाचने को विवश कर दिया। नृत्य करते समय भगवान विष्णु ने भस्मासुर का हाथ उनके सिर पर रखवा दिया और वह स्वंय ही भस्म हो गया। इस तरह से भगवान विष्णु ने अपनी समझ से भोलेनाथ की रक्षा की थी।

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