Pauranik Kathayen : जब श्रीकृष्ण की धुन सुनते-सुनते बांसुरी में हो गई थी विलीन... जानिए श्री राधा रानी के अंतिम क्षणों की अनसुनी कहानी
Pauranik Kathayen : हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद मनाई जाने वाली राधा अष्टमी इस बार 31 अगस्त को सेलिब्रेट की जाएगी। यह दिन श्री राधा रानी को समर्पित होता है। भक्त इस दिन उपवास भी करते हैं, ताकि राधा-रानी की कृपा बरसे। ऐसी मान्यता है कि श्री राधा-रानी जिस भक्त से प्रसन्न हो जाती है भगवान श्रीकृष्ण उनसे स्वंय ही प्रसन्न हो जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की प्रेम भक्ति से जुड़ी कथाएं तो हर कोई जानता ही है। राधा रानी व श्रीकृष्ण को 8 साल की उम्र में ही अपने प्रेम का आभास हो गया था। भले ही वह शादी के बंधन में ना बंधे हो, लेकिन उनका प्यार आत्मिक था। आज हम आपको श्री राधा रानी के अंत के बारे में बताएंगे।आपको बताएंगे कि श्री राधा-रानी की मृत्यु कब और कैसे हुई?
श्रीकृष्ण की बांसुरी धुन से मोहित हो जाती थीं राधा रानी
भले ही श्री कृष्ण और राधा रानी का जन्म एक ही तारीख पर हुआ हो, लेकिन दोनों के पक्ष अलग-अलग थे। भगवान कृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष और राधा जी का शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर हुआ। यही वजह है कि राधा अष्टमी जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो उसकी ध्वनि सुनकर राधा रानी सहित सभी गोपियां मोहित होकर खींची चली आती थी।
ऐसे हुई थी राधा रानी की मृत्यु
जब कंस वध के लिए भगवान कृष्ण मथुरा चले गए तो वह वृदांवन नहीं लौटे। वह द्वारका में बस गए और रुकमणी से विवाह कर लिया। हालांकि वह एक बार कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के दौरान मिले थे। कुछ समय बाद राधा रानी अपने सभी कर्तव्यों से मुक्त होकर द्वारका आ गई जहां श्री कृष्ण के महल में उन्हें सम्मानित पद दिया गया। वह शाही जिंदगी में प्रेम महसूस नहीं कर पाई और जंगल के पास ही एक गांव में रहने लगी।
बांसुरी में हो गई थी विलीन
कहा जाता है कि धीरे-धीरे उनकी तबीयत खराब होने लगी। कथाओं के अनुसार, अपने अंतिम समय में राधा रानी ने श्रीकृष्ण को मिलने के लिए बुलाया था। उनसे बांसुरी बजाने के लिए कहा। वह श्रीकृष्ण की मधुर धुन सुनते-सुनते बांसुरी में विलिन हो गई थी।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।