मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Pauranik Kathayen : यहां देवी को भी होते हैं मासिक धर्म, ब्रह्मपुत्र नदी का पानी हो जाता है लाल

Pauranik Kathayen : यहां देवी को भी होते हैं मासिक धर्म, ब्रह्मपुत्र नदी का पानी हो जाता है लाल
Advertisement

चंडीगढ़, 7 जनवरी (ट्रिन्यू)

हिंदू धर्म में पीरियड्स यानि मासिक धर्म को अशुद्ध माना जाता है और इस दौरान महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जाती है। मगर, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी मंंदिर हैं, जहां देवी मां को भी हर साल मासिक धर्म होते हैं। हम बात कर रहे हैं देवी सती के 51 शक्तिपीठ में से एक कामाख्या देवी मंदिर की, जो असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी में स्थित है।

Advertisement

यहां गिरा था माता सती की योनि का भाग

कामाख्या देवी मंदिर में न तो कोई मूर्ति है और न ही माता की तस्‍वीर। यहां सिर्फ एक कुंड बना हुआ है, जो फूलों सें ढंका रहता है। मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार, विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शनचक्र से माता सती की देह के 51 भाग किए थे। जहां-जहां माता सती के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ बन गया। माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती की योनि का भाग गिरा था।

ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे नीलाचल पर्वत पर स्थित इस मंदिर में देवी मां को रजस्‍वला होते हैं। मान्यता है कि मां कामाख्या के रजस्वला होने पर ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लाल हो जाता है। इस दौरान माता तीन दिनों के लिए विश्राम करती हैं।

प्रसाद में दिया जाता है लाल कपड़ा

इस मंदिर में भक्तों को अंगोदक और अंगवस्त्र (अंबुबाची) प्रसाद के रूप में दिया जाता है। अंगोदक झरने का पानी और अंबुबाची देवी मां के पास रखा कपड़ा होता है। मान्यता है कि रजस्‍वला के दौरान मंदिर में सफेद कपड़ा बिछाया जाता है, जो तीन दिन बाद लाल हो जाता है। मंदिर खुलने के बाद इसे प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

तीन दिन के लिए बंद रहते हैं कपाट

मंदिर के कपाट को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है और महिलाओं व पुरुषों का इस समय मंदिर में जाना वर्जित होता है। इस दौरान कामाख्या धाम में महाअम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर के गर्भगृह को लाल कपड़े से ढक दिया जाता है और देवी को विशेष भोजन खिलाया जाता है। देवी को स्नान कराने और विभिन्न अनुष्ठान करने के बाद चौथे दिन मंदिर को फिर से खोल दिया जाता है, जिसके बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।

नहीं किए जाते शुभ काम

महाअम्बुबाची मेले के दौरान सभी शुभ कार्य, शादी-विवाह और कृषि कार्य वर्जित माने जाते हैं। वहीं, इस दौरान विधवाएं, ब्राह्मण और ब्रह्मचारी सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। तीन दिन बाद घर के बर्तन और कपड़ों आदि को शुद्ध किया जाता है। भारतवर्ष के लोग इसे अघोरियों और तांत्रिक का गढ़ मानते हैं मेले में शामिल होने के लिए यहां दुनियाभर के तांत्रिक आते हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
Tags :
Ambubachi MelaDainik Tribune newsDharma AasthaHindu DharmHindu MythologyHindu ReligionHindu Religiousindia periods riverKamakhya Devi templeKamakhya Devi temple StoryLord VishnuMaa SatiMahadevPauranik KathayenReligionपौराणिक कथा

Related News