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Pauranik Kahaniyan : रावण की मौत के बाद माता सीता से क्यों मिली थी शूर्पणखा? आप भी नहीं जानते होंगे ये बात

रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा को हार और अपमान का हुआ एहसास
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चंडीगढ़, 27 फरवरी (ट्रिन्यू)

Pauranik Kahaniyan : रावण की मृत्यु के बाद माता सीता से शूर्पणखा का मिलना एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण घटना है, जो रामायण में वर्णित है। शूर्पणखा, रावण की बहन थी और उसकी कहानी का संबंध राम के वनवास, माता सीता के हरण और रावण से जुड़ी घटनाओं से है। रावण के द्वारा माता सीता के हरण के बाद शूर्पणखा का एक महत्वपूर्ण स्थान था। उसकी सीता से मुलाकात के पीछे कुछ गहरे मनोवैज्ञानिक और ऐतिहासिक कारण थे।

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शूर्पणखा के कारण हुआ रावण का अंत

पौराणिक कथाओं के अनुसार , रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा को अपनी हार और अपमान का एहसास हुआ। उसने रावण की मृत्यु के बाद अपने भाई के कृत्य के परिणामस्वरूप विध्वंस और विनाश देखा। शूर्पणखा के लिए यह समय खुद को ढूंढने और अपने अतीत के कृत्यों पर पुनर्विचार करने का था। उसने देखा कि उसका भाई रावण अपनी अहंकार और अत्याचार के कारण नष्ट हुआ। यह देख वह खुद को अपराधी और अपमानित महसूस करने लगी।

इसलिए माता सीता से मिली थी शूर्पणखा

शूर्पणखा ने जब रावण की मृत्यु के बाद माता सीता को देखा तो उसने उनसे मिलने का निर्णय लिया। उसका मुख्य उद्देश्य यह था कि वह सीता से कुछ सलाह ले सके और अपने कर्मों पर पछतावा व्यक्त कर सके। शूपर्णखा का यह मानना था कि सीता, जो एक आदर्श और पतिव्रता स्त्री हैं, शायद उसे भी अपने गलत रास्ते पर चलने के लिए कुछ शिक्षा दे सकती हैं।

शूपर्णखा ने लिया माता सीता से मार्गदर्शन

शूर्पणखा ने रावण के साथ अपने कृत्य-राक्षसी प्रवृत्तियों के कारण पछतावा और आत्मग्लानि महसूस की। माता सीता के पास जाने का एक और कारण यह भी हो सकता है कि शूर्पणखा चाहती थी कि सीता उसे अपने गलत कृत्यों से उबारने के लिए मार्गदर्शन दे। उनके लिए सीता एक आदर्श का प्रतीक थीं और वह चाहती थी कि वह भी अपनी आत्मा को शुद्ध कर सके।

शूर्पणखा की सीता से मुलाकात के समय, यह स्पष्ट था कि वह अपनी राक्षसी प्रवृत्तियों से मुक्त होना चाहती थी। हालांकि, माता सीता ने शूर्पणखा के साथ कोई सहानुभूति नहीं जताई क्योंकि उसने पहले राम और लक्ष्मण के साथ छल किया था। माता सीता ने कहा कि हर व्यक्ति के कर्मों का परिणाम उसे जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर भुगतना ही पड़ता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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