Pauranik Kahaniyan : जब मां पार्वती पर भगवान शिव हो गए थे क्रोधित, दिया था ये कठोर श्राप
चंडीगढ़, 21 फरवरी (ट्रिन्यू)
हिंदू धर्म में भगवान शिव व उनकी पत्नी माता पार्वती से जुड़ी कई कथाएं व कहानियां प्रचलित है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि सुहागिन औरतें अखंड सुहाग व पति की लंबी उम्र के लिए माता पार्वती का व्रत करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी आदर्श जोड़ी का प्रतीक है। हालांकि, दोनों में प्रेम होने के बावजूद एक बार भगवान शिव इतना क्रोधित हो गए कि उन्होंने माता पार्वती को श्राप तक दे दिया।
माता पार्वती ने 108 जन्मों तक की घोर तपस्या
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 108 जन्मों तक घोर तपस्या की थी। शादी के बाद भी माता पार्वती ने एक आदर्श पत्नी की तरह अपने सभी कर्तव्य निभाए और भगवान शिव की सभी बातों का पालन किया। जब भगवान शिव कुछ बोलते थे तो माता पार्वती उन्हें ध्यान से सुनती थी।
भगवान शिव मां पार्वती को दे रहे थे ब्रह्म ज्ञान
भगवान शिव एक बार ब्रह्म ज्ञान देने के लिए माता पार्वती को सृष्टि की कथा सुना रहे थे। पार्वती भगवान शिव की बातें सुनते-सुनते कहीं ओर खो गई। जब भगवान शिव ने देखा कि वह उनकी बातें नहीं सुन रही है तो उन्होंने मां पार्वती से पूछा कि देवी क्या आप कथा को सुन रही हैं... लेकिन माता ने कोई उत्तर नहीं दिया। इसपर भगवान शिव को क्रोध आ गया।
माता पार्वती पर क्यों क्रोधित हुए भगवान शिव
जब कुछ समय बाद मां पार्वती का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने देखा कि वह क्रोधित हो गए हैं। भगवान शिव ने कहा कि आपने ब्रह्म ज्ञान का अनादर किया है। शिक्षा या ज्ञान लेते समय ध्यान भंग नहीं होना चाहिए। ऐसा होना दंडनीय है। तब भगवान शिव ने क्रोध में आकर मां को श्राप दिया कि वह मछुआरे परिवार में दोबारा जन्म लेंगी।
भगवान शिव के श्राप से माता पार्वती दुख में डूबी हुई मछुआरों के गांव में पहुंची। उस गांव के मुखिया की कोई संतान नहीं थी। एक बार मुखिया मछली पकड़ने के लिए तलाब की ओर जा रहा था कि तभी उसने पेड़ ने नीचे नन्हीं कन्या को रोते देखा।
वह उसे अपनी पुत्री बनाकर अपने घर ले आया। इस तरह माता पार्वती को भगवान शिव के श्राप से एक मछुआरे के घर में जीवन यापन करना पड़ा और फिर बड़े होने पर दोबारा उनका मिलन भगवान शिव से हुआ।