Pauranik Kahaniyan : भगवान शिव से मिलने से पहले रावण ने यहीं लगाई थी डुबकी, लोगों को इसलिए नहीं है जाने की इजाजत
चंडीगढ़, 10 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Pauranik Kahaniyan : कैलाश पर्वत हिमालय की सबसे रहस्यमयी चोटी में से एक है, जिस पर आज तक कोई भी पर्वतरोही नहीं चढ़ाई नहीं कर सका। चीन तिब्बत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित इस चोटी को लेकर कई कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं।
हिंदू धर्म की मानें तो इस चोटी पर भगवान शिव व माता पार्वती आज भी वास करते हैं। वैसे तो कैलाश पर्वत की ऊंचाई पर कोई नहीं जा सका, लेकिन श्रद्धालु इसके आसपास मौजूद स्थानों की यात्रा करने के लिए आते हैं। इसके पश्चिम व दक्षिण में मानसरोवर और राक्षसताल झील हैं। आज हम बात करेंगे राक्षसताल की, जिससे कई रहस्यमय और डरावनी कहानियों से जुड़ी है।
कैलाश पर्वत के पास स्थित राक्षसताल
माना जाता है कि इस झील में अजीबो-गरीब घटनाएं घटित होती रही हैं। यह जगह शैतानी शक्तियों से जुड़ी हुई है। यह झील धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे एक रहस्यमय और रहस्यपूर्ण स्थान भी माना जाता है। राक्षसताल का पानी खारा है और यह पारंपरिक रूप से एक डरावने स्थान के रूप में देखा जाता है। इस झील का निर्माण खुद रावण ने किया था।
रावन ने भी लगाई थी यहां डुबकी
राक्षसताल में श्रद्धालुओं के स्नान करने की मनाही है, लेकिन त्रेता युग में स्वंय लंकापति रावण ने इस कुंड में डुबकी लगाई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण भगवान शिव की आराधना के लिए कैलाश पर्वत जा रहा था तो वह पहले स्नान करना चाहता था। इसलिए उसने पहले राक्षसताल में स्नान कर लिया।
कुंड में डुबकी लगाने के बाद रावण के मन पर असर हुआ। जब शिव के पास पहुंच कर रावण ने उनकी स्तुति की तो वह बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। रावण ने वरदान में माता पार्वती को मांग लिया। कहा जाता है कि राक्षसताल में डुबकी लगाने के कारण ही उसके दिमाग में ऐसे गलत विचार आए।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
वहीं, वैज्ञानिकों की मानें तो राक्षसताल में कुछ ऐसी प्राकृतिक गैसें मिली हुई हैं, जिसने पानी को जहरीला कर दिया है। भले ही इस पानी को पीने या इसमें स्नान करने से आपकी जान ना जाए, लेकिन शरीर पर नकारात्मक असर हो सकता है। यही वजह है कि सरकार ने इस कुंड में स्नान करने की रोक लगा रखी है। चीन सरकार ने राक्षसताल के पास बाड़ लगाकर घेरेबंदी कर रखी है। पर्यटकों को सिर्फ दूर से ही इस झील को देखने की अनुमति है।