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Pauranik Kahaniyan : महाशिवरात्रि पर छोटी काशी में लगा श्रद्धालुओं का मेला, महाभारत काल से जुड़ा बाबा आनंदेश्वर मंदिर का इतिहास

Pauranik Kahaniyan : महाशिवरात्रि पर छोटी काशी में लगा श्रद्धालुओं का मेला, महाभारत काल से जुड़ा बाबा आनंदेश्वर मंदिर का इतिहास
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चंडीगढ़, 26 फरवरी (ट्रिन्यू)

महाकुंभ के बाद अब शिवालयों में भक्तों का तांता लग गया है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं, वाराणसी, हरिद्वार सहित कानपुर के बाबा आनंदेश्वर मंदिर में भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।

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छोटी काशी के नाम से मशहूर

श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर गंगा जल और बेलपत्र चढ़ाए। लोग पूजा-अर्चना के लिए शिव मंदिरों के बाहर कतारों में खड़े नजर आए। बाबा आनंदेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है। कानपुर के बाबा आनंदेश्वर मंदिर को 'कानपुर की छोटी काशी' के नाम से भी जाना जाता है।

महाभारत काल से संबंध

यह मंदिर विशेष रूप से अपने धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक धरोहर और अद्वितीय वास्तुकला के लिए जाना जाता है। बाबा आनंदेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यहां आकर लोग अपने दुखों का निवारण पाते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का महाभारत से ऐतिहासिक संबंध है और यह आस्था का प्रमुख केंद्र है।

दानवीर कर्ण करते थे पूजा

दानवीर कर्ण गंगा स्नान के बाद महादेव का पूजन करते थे और उसके बाद अचानक विलुप्त हो जाते थे। एक बार कर्ण को पूजा करते समय आनंदी नाम की गाय ने देख लिया था। इसके बाद गाय भी वहीं जाकर अपना सारा दूध छोड़ आती थी, जो गायब हो जाता था। जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इस जगह पर खुदाई की।

इसलिए मंदिर का नाम पड़ा 'आनंदेश्वर'

ग्रामीणों को यहां शिवलिंग मिला। इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक कर उसे गंगा किनारे स्थापित कर दिया गया। आनंदी गाय के दूध चढ़ाने के कारण ही मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ा। आम दिनों में भी गंगा किनारे स्थित महादेव के दरबार में भक्तों का संगम देखने को मिलता है, लेकिन श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

दूर-दूर से आते हैं टूरिस्ट

मंदिर में भगवान शिव के अलावा देवी पार्वती, भगवान गणेश और अन्य देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। मंदिर परिसर में शिवलिंग के साथ विह्नहर्ता गणपति महाराज, संकटमोचन हनुमान जी, श्रीहरि विष्णु भगवान और समस्त देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं। यह मंदिर न केवल गोरखपुर के भक्तों के लिए बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

मंदिर की वास्तुकला

मंदिर में एक विशाल मुख्य गर्भगृह है, जिसमें बाबा आनंदेश्वर की मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह के आसपास सुन्दर खंभे और दीवारों पर उकेरे गए धार्मिक चित्र और शिल्पकला मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। मंदिर के आंतरिक और बाहरी हिस्से में उत्कृष्ट नक्काशी का काम किया गया है, जो भारतीय मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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