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Pashupatinath Mandir: नेपाल ही नहीं पिहोवा में भी है पशुपतिनाथ मंदिर, यहां है पंचमुखी शिवलिंग

Pashupatinath Mandir: प्राचीन ग्रंथों में इसका नाम पृथुदक तीर्थ है
Pashupatinath Mandir
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सुभाष पौलस्त्य/निस, पिहोवा, 18 दिसंबर

Pashupatinath Mandir: मोक्ष भूमि पिहोवा। जहां पर सैंकड़ों की संख्या में प्रतिदिन तीर्थ यात्री आते हैं। यह देवभूमि हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिला में पिहोवा नाम से प्रसिद्ध है। प्राचीन ग्रंथों में इसका नाम पृथुदक तीर्थ है। यह पृथुदक पिहोवा अपने गर्भ में अनेक ऐतिहासिक चीज समेटे हुए हैं। इधर-उधर बिखरे सैकड़ो वर्ष पुराने मंदिरों मूर्तियों के अवशेष इस नगर की प्राचीनता का वर्णन कर रहे हैं। इसी पिहोवा में एक सुप्रसिद्ध पशुपतिनाथ महादेव का मंदिर है।

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बताते हैं की लगभग 300 वर्ष पूर्व नेपाल से एक महात्मा बाबा श्रवण नाथ जी पिहोवा आए थे तथा उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। निर्माण कब शुरू हुआ इसका तो कोई प्रमाण नहीं मिला। परंतु मंदिर में लगा शिलालेख बताता है कि 1865 माघ सुदी वीरवार को इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई थी।

विशाल पंचमुखी शिवलिंग

इस मंदिर में एक विशाल पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। इस विशाल पांच मुखी शिवलिंग के चारों दिशाओं में भगवान शिव के मुख है। बताया जाता है कि यह एक ही पत्थर से तराशी गई मूर्ति है जो कसौटी के पत्थर से बनी हुई है। उस वक्त इस पत्थर की कीमत सवा लाख रुपए आंकी गई थी। जो आज करोड़ों में है।

कलाकृतियां देखने लायक

वैसे तो इस मंदिर में अनेकों मूर्तियां हैं परंतु इस मंदिर की बनावट व इस पर बनी कलाकृतियां देखने लायक हैं जहां मंदिर का गर्भ ग्रह विशाल है। वहीं, मंदिर के बाहर बना पंडाल भी विशाल है। मंदिर की दीवारें 5 से 7 फीट तक चौड़ी है। इस मंदिर को बनाने के लिए बड़े-बड़े खंबे बनाए गए हैं उन खंबों पर भी बहुत सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं।

निर्माणकर्ता मिस्त्री कलाकारों ने चुने व सीमेंट से इस कदर मूर्तिया बना डाली की देखने वाला हैरान रह जाता है मंदिर के ऊपर बनाया गया गुंबद भी बहुत विशाल है, जो लगभग 60 फुट से भी अधिक है।

भगवान शिव की भी अनूठी मूर्ति

इतिहासकार विनोद पचौली ने मंदिर में गुंबद पर बनी चूने की मूर्तियां बारे जानकारी देते हुए बताया कि गुंबद पर चूने की मां दुर्गा की मूर्ति है जिसके आगे हनुमान व पीछे भैरव देव की मूर्ति है। इसी तरह भगवान शिव के भी एक अनूठी मूर्ति चूने से बनी हुई है। जिसमें भगवान शिव के जनेऊ कानों के कुंडल व सभी गहने आभूषण सर्प के बने हुए हैं।

कसौटी के पत्थर से स्वर्णकार सुनार लोग अपने सोने की परख करते हैं। इस कीमती पत्थर से ही यह भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति बनी हुई है। यह भी मशहूर है कि इस तरह का विशाल शिवलिंग पिहोवा तीर्थ में है या फिर नेपाल काठमांडू पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में। दोनों ही मंदिर पशुपतिनाथ के नाम से मशहूर है।

इसी तरह एक और भगवान विष्णु व लक्ष्मी की मूर्ति है जो गरुड़ पर विराजमान है। गुंबद में ही तपस्या करते हुए तपस्वियों की भी मूर्तियां चूने की बनाई हुई है। सबसे आश्चर्य जनक बात यह है की शिव के मंदिर में जहां सबसे ऊपर गुंबद पर भगवान शिव की मूर्तियां हैं। वहीं सरस्वती मंदिर के बाहर चूने से ही मां सरस्वती की मूर्ति भी बनाई गई है।

मंदिर का निर्माण समतल भूमि से लगभग 15 फुट ऊपर

यह भी बताते हैं कि इस मंदिर का गुंबद का ऊपरी हिस्सा व इस शहर की आबादी का ऊंचाई पर बसना दोनों एक जितनी ऊंचाई पर है। यही वजह है कि आज तक वर्षों से यहां पर बाढ़ ने जहां चारों ओर तबाही मचाई। वहीं पर शहर के भीतर बाढ़ का पानी भी नहीं आया। क्योंकि शहर बहुत ऊंचाई पर बसा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण समतल भूमि से लगभग 15 फुट ऊपर जाकर किया गया है ।इस मंदिर में वैसे अनेक मूर्तियां हैं।

पांडवों के समय की कड़ाई

इस मंदिर के भीतर भी एक बहुत बड़ा कड़ाहा कड़ाही जिसे कहते हैं वही पड़ा हुआ है। किंबदंती है कि यह विशाल कडाई कडाहा पांडवों के समय का है। इसे भीम का कढ़ाई भी कहा जाता है ।यह मंदिर ही अपने भीतर अनेक इतिहास समेटे हुए हैं।

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