साधना, तंत्र और आत्मचिंतन के नौ द्वार
आर.सी.शर्मा
हिंदू धर्म में चार बार नवरात्रि का नौ दिवसीय पर्व आता है। लेकिन दो नवरात्रि पर्व सार्वजनिक होते हैं यानी उन्हें आम लोगों द्वारा मनाया जाता है, जबकि दो प्रमुख नवरात्रि पर्व गुप्त होते हैं और इन्हें आम लोगों द्वारा नहीं बल्कि देवी मां के विशेष साधकों, खासकर तंत्र साधकों और आध्यात्मिक भक्तों द्वारा मनाया जाता है। गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आते हैं, एक बार आषाढ़ माह में और दूसरी बार माघ माह में। गुप्त नवरात्रि मुख्यतः शक्ति उपासना और देवी पूजन के लिए उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों गुप्त नवरात्रि के उपासक देवी मां की विशेष साधना करते हैं। विशेषकर दस महाविद्याओं के जो कि इस प्रकार हैं- काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। तंत्र साधक इन दिनों इन शक्तियों की गुप्त रूप से शक्ति उपासना करते हैं, क्योंकि गुप्त नवरात्रियों का समय गुप्त विद्याओं, मंत्र सिद्धि, तांत्रिक प्रयोग, भैरव साधना और कुंडलनी जागरण के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। माना जाता है कि जो साधक इन नवरात्रि में एकाग्रता और नियमपूर्वक देवी मां की शक्ति उपसाना करता है, उसे दिव्य शक्तियों की अनुभूति होती है।
इन गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष अनुष्ठानों और तांत्रिक उपायों से ग्रह दोष, शत्रु बाधा, नजर दोष, डर और मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए पूजा की जाती है। बगलामुखी और भैरवी की पूजा विशेष रूप से शत्रुनाश और आत्मरक्षा के लिए की जाती है। आम नवरात्रि में जहां देवी की रूपों की धूमधाम से पूजा होती है, वहीं गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक देवी मां के उग्र रूपों, जैसे- कालिका, छिन्नमस्ता, धूमावती आदि की पूजा करते हैं, जो कि प्रायः सामान्य लोगों के लिए ये रूप भयावह माने जाते हैं। इसलिए इनकी आराधना में पूरी गोपनीयता और नियमबद्धता बरती जाती है।
आम लोग गुप्त नवरात्रि इसलिए नहीं मानते, क्योंकि एक तो इन नवरात्रि में आराधना बहुत गुप्त रूप से की जाती है और बड़े ही कठिन अनुशासन से नियमों का पालन करना होता है। गुप्त नवरात्रि की पूजा विधियां आम पूजा पाठ से बिल्कुल भिन्न होती हैं। ये इतनी जटिल और अनुशासित होती हैं कि आम लोगों को इन साधनाओं में भय, का अहसास होता है। इनमें तांत्रिक विधियां जैसे विशेष मंत्रों का जाप, यंत्र जागरण, हवन और गुप्त नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जो कि सामान्य लोगों के बस की बात नहीं है। इसलिए अधिकतर गृहस्थ, परिवारों में गुप्त नवरात्रि मानने की परंपरा नहीं होती। आम लोग सामान्यतः चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही धार्मिक अनुष्ठान के रूप में मनाते हैं। गुप्त नवरात्रि का इसलिए समाज में ज्यादा प्रचार, प्रसार नहीं होता। अतः ज्यादातर लोग जानते भी नहीं होते कि गुप्त नवरात्रि भी होते हैं।
गुप्त नवरात्रि में साधक को शुद्धता, एकांत और नियमों का पूरी कट्टरता के साथ पालन करना होता है। आम लोग जो घर परिवार में अपना जीवन बिताते हैं। 10 से 6 की नियमित रूप से नौकरी करते हैं, वे लोग इन नवरात्रि के अनुशासन का पालन नहीं कर सकते, इसलिए आम लोग गुप्त नवरात्रि नहीं मनाते। गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कई भय और भ्रंतियां इसलिए भी प्रचलित हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसी बातें करते हैं। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में अगर आपकी साधना भंग हो गई, तो लाभ सेे ज्यादा नुकसान होता है। क्योंकि तब देवी मां नाराज हो जाती हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि आम आदमी भले गुप्त नवरात्रि न मनाता हो, लेकिन आम हिंदू गुप्त नवरात्रियों के प्रति श्रद्धा जरूर रखता है और वह इन्हें महत्वपूर्ण समझता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि पर जो लोग इन्हें नहीं मनाते वह भी बाकी दिनों के मुकाबले ज्यादा नियम और संयम से रहते हैं। लेकिन यह बात भी है कि जिस वजह से गुप्त नवरात्रि से लोग दूर भागते हैं, वही वजह इनके आकर्षण का भी विषय है। यही कारण है कि आम लोगों में भी इन दिनों आध्यात्मिक, मानसिक शांति, ऊर्जा संतुलन और स्वरूप की पहचान के प्रति लगातार आकर्षण बढ़ रहा है। योग, ध्यान, तंत्र और मंत्र साधना की आधुनिक व्याख्याओं ने जिज्ञासु लोगों का रुझान इस तरफ किया है।
गहन साधना और आध्यात्मिक अनुभवों के माध्यम गुप्त नवरात्रियां उन लोगों के लिए हैं जो बाहरी दुनिया से हटकर आत्मचिंतन, आध्यात्मिक उन्नति और देवी की कृपा पाना चाहते हैं। हालांकि आम लोगों के बीच ये गुप्त नवरात्रि प्रचलित नहीं हैं, परंतु इनका महत्व उतना ही गहन और प्रभावी है, जितना सामान्य प्रमुख नवरात्रि का होता है। इस साल आषाढ़ माह के ये गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू होकर 4 जुलाई तक मनाये जाएंगे, जो तंत्र साधकों के लिए अमूल्य समय है। इन नौ दिवसों में जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होते हैं और अगली नवीं तिथि तक चलते हैं। इ. रि.सें.