मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Neelkanth Mahadev Mandir : भगवान शिव ने यहीं पिया था विष का प्याला, इस प्राचीन मंदिर में होता है दो खास नदियों का संगम

सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल विष पी लिया
Advertisement

Neelkanth Mahadev Mandir : नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर के करीब स्थित एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान महादेव को समर्पित है और पौड़ी गढ़वाल जिले में बना है। माना जाता है कि यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां भगवान शिव ने विष पिया था। इसका जिक्र श्रुति और स्मृति पुराण में भी मिलता है।

मधुमती और पंकजा नदी का अनोखा संगम

Advertisement

दिव्य आभा और पौराणिक वातावरण समेटे हुए यह सदियों पुराना प्राचीन मंदिर 926 मीटर की ऊंचाई पर विष्णुकूट, ब्रह्मकूट और मणिकूट तीन घाटियों के बीच में बना हुआ है। इसके अलावा यहां आपको मधुमती और पंकजा नदी का अनोखा संगम भी देखने को मिलेगा। यह एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है और भक्त शिवरात्रि व श्रावण के दौरान यहां आते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने नीलकंठ महादेव मंदिर में हलाहल विष पिया था। समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक एक घातक विष निकल आया था, जो पूरी सृष्टि के लिए खतरा बन सकता था। विष के धुएं से देवता और राक्षस भी व्यथित हो गए, जिसके बाद सभी ने भगवान शिव से इसका हल निकालने का आग्रह किया।

60 हजार साल तक की थी तपस्या

फिर पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल विष पी लिया। हालांकि भगवान शिव ने उसे गले में ही रखा। विष ने शिव के गले को नीला कर दिया, जिसके कारण वह नीलकंठ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। इसका संस्कृत में अर्थ है "नीला गला"। कहा जाता है कि विष की जलन को कम करने के लिए भगवान शिव ने नदी संगम के समीप मंचपणी नामक वृक्ष के नीचे 60 हजार साल तक तपस्या भी की थी। उसी स्थान पर आज भगवान शिव का स्वयंभू लिंग विराजमान है।

इसके अलावा, इस प्राचीन मंदिर के प्रांगण में एक अखंड धूनी भी जलाई जाती है। माना जाता है कि इसे घर में रखना बहुत फलदायी होता है। इससे भूत-प्रेत व आत्माएं दूर रहती है। यही वजह है कि पर्यटक इस मंदिर से जाते समय प्रसाद के तौर पर धूनी की भभूत को साथ लेकर जाते हैं। मंदिर में प्रवेश द्वार पर बना विभिन्न देवी-देवताओं का चित्रण और नक्काशी भी देखने लायक है। इसके अलावा गर्भ गृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति भी स्थापित की गई है, जिसमें विषपान करते हुए दिखाया गया है।

Advertisement
Tags :
BholenathDainik Tribune newslatest newsLord ShivLord ShivaMahadevMahadev MandirMahadev TempleNeelkanthNeelkanth Mahadev MandirRishikeshSamudra ManthanShiva Temple mythological significanceTravellingUttarakhandदैनिक ट्रिब्यून न्यूजभोलेनाथहिंदी समाचार