Navratri 2025: शारदीय नवरात्र प्रारंभ, पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और शक्ति मंत्र
Navratri 2025: आज से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं। पहले दिन मां दुर्गा के नवस्वरूपों में से एक शैलपुत्री की उपासना का पर्व है। नवरात्र पर कलश स्थापना के तीन शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 06 मिनट तक, दूसरा मुहूर्त 9 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक है। इसके अलावा दिन में अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक भी घटस्थापना की जा सकती है।
पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्र व्रत रखने और मां की उपासना करने से साधक के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है तथा हर कार्य में सफलता मिलती है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को मां दुर्गा की पूजा शैलपुत्री स्वरूप में की जाती है। ‘शैल’ का अर्थ पर्वत और ‘पुत्री’ का अर्थ बेटी है। शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री और समस्त जीव जगत को शक्ति प्रदान करने वाली देवी हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल रहता है तथा ये नंदी बैल पर सवार होती हैं। यह स्वरूप सौम्यता, शक्ति और धैर्य का प्रतीक है।
पूजा विधि
सुबह स्नान कर पवित्र भाव से व्रत का संकल्प लें। मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक प्रज्ज्वलित करें और जल, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। मां के त्रिशूल और कमल से सुसज्जित स्वरूप की श्रद्धा से आराधना करें।
पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में शांति और समृद्धि का संचार होता है। भक्त यदि कठिन तप और भक्ति भाव से मां की उपासना करे, तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। विवाह और दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए भी इनकी आराधना फलदायी मानी जाती है।
मंत्र
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।” इस मंत्र का जाप करने से मन शुद्ध होता है और साधक को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Panchang 22 September 2025: राष्ट्रीय मिति भाद्रपद 31
शक संवत 1947
विक्रम संवत 2082
मास आश्विन (शुक्ल पक्ष)
तिथि प्रतिपदा (अर्धरात्रोत्तर 02:56 तक), उपरांत द्वितीया
वार सोमवार
सौर मास प्रविष्टे आश्विन मास, 07
अंग्रेजी तिथि 22 सितम्बर 2025 ई॰
सूर्य स्थिति दक्षिणायन, दक्षिण गोल
ऋतु शरद ऋतु
राहुकाल प्रातः 07:30 बजे से 09:00 बजे तक
नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी (पूर्वाह्न 11:24 तक), उपरांत हस्त
योग शुक्ल (सायं 07:59 तक), उपरांत ब्रह्म योग
करण किस्तुघ्न (अपराह्न 02:07 तक), उपरांत बालव
विजय मुहूर्त दोपहर 02:15 से 03:03 तक
निशीथ काल रात्रि 11:50 से 12:38 तक
गोधूलि बेला शाम 06:18 से 06:41 तक
चंद्रमा कन्या राशि पर संचार
पर्व/विशेष शारदीय नवरात्र आरंभ
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।