Navami Navratri: नवमी तिथि का नरात्र आज, ऐसे करें मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा
Navami Navratri: आज शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि है। यानी आज माता दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना की जा रही है। यह स्वरूप भक्तों को सभी सिद्धियां और सिद्धि-सम्पन्न जीवन प्रदान करने वाला माना गया है।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व – ये आठ सिद्धियां मां सिद्धिदात्री से ही प्राप्त होती हैं। माना जाता है कि भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से इन सिद्धियों को पाया और अर्धनारीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए।
पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक माता का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांतिदायक है। देवी कमलासन या सिंह पर सवार होकर चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल पुष्प धारण किए रहती हैं। श्वेत या लाल वस्त्रों में सुसज्जित मां का रूप भक्तों को मधुर वाणी, ज्ञान और शांति प्रदान करता है। देवी को देवी सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है।
पूजा की विधि
नवरात्रि के इस अंतिम दिन घर और मंदिर की सफाई कर गंगाजल से शुद्धिकरण करें। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। कलश पूजन कर उसमें प्रतिष्ठित देवी-देवताओं का ध्यान करें। माता को रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी अर्पित करें। पूजन में हलुआ, पूरी, खीर, चना और नारियल का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। इस दिन हवन करने का भी विशेष महत्व है।
पूजन के समय मां के मंत्रों का जप करें और विधि-विधान से आरती उतारें। इसके बाद कन्या पूजन अवश्य करें। 2 से 10 वर्ष तक की आयु की नौ कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराना और उपहार देना विशेष फलदायी माना गया है।
महत्व और फल
मां सिद्धिदात्री की पूजा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्त को यश, बल, कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है। साधना से साधक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्राप्त कर सकता है। देवी की कृपा से जीवन के दुख और बाधाएं दूर होती हैं और साधक परम शांति तथा अमृत पद की ओर अग्रसर होता है।
नवरात्रि के इस नवें दिन विधिपूर्वक मां सिद्धिदात्री की आराधना, भोग और कन्या पूजन करने के बाद ही व्रती अपना व्रत पारण करते हैं। यही कारण है कि नवरात्रि के अंतिम दिन का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व अत्यंत विशेष है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों के बिगड़े कार्य बनते हैं और जीवन में सफलता तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Panchang October 1, 2025:
Panchang October 1, 2025: राष्ट्रीय मिति आश्विन 09, शक संवत 1947
विक्रम संवत 2082
मास आश्विन शुक्ल पक्ष
तिथि नवमी (सायं 07:10 बजे तक), उपरांत दशमी आरंभ
वार बुधवार
सौर मास आश्विन मास प्रविष्टे 16
अंग्रेजी तिथि 01 अक्टूबर 2025 ई॰
सूर्य दक्षिणायन, दक्षिण गोल
ऋतु शरद ऋतु
राहुकाल 12:00 दोपहर से 01:30 अपराह्न
नक्षत्र पूर्वाषाढ़ (08:06 प्रातः तक), उपरांत उत्तराषाढ़
योग अतिगण्ड (रात्रि 12:36 बजे तक), उपरांत सुकर्मा
करण बालव (06:40 प्रातः तक), उपरांत तैतिल
विजय मुहूर्त 02:09 अपराह्न से 02:57 अपराह्न
निशीथ काल 11:46 रात्रि से 12:35 मध्यरात्रि
गोधूलि बेला 06:07 सायं से 06:31 सायं
चन्द्रमा 02:27 अपराह्न तक धनु राशि, उपरांत मकर राशि
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।