मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

मां के आत्मीय अहसास

एकदा
Advertisement

बादशाह अकबर की माता का देहांत हुआ तो वे बहुत व्यथित हुए और रोने लगे। रोने- धोने का उनका यह क्रम आठ-दस दिन तक भी न रुका तो बीरबल से रहा न गया। उन्होंने कहा, ‘बादशाह सलामत! आपकी माताजी काफी बुजुर्ग थीं। अब नहीं तो साल-दो साल बाद उनका देहांत होना ही था। आप खुद इतने समझदार हैं कि कोई आप को क्या समझाए कि मां के जाने का इतना दुख मनाना ठीक नहीं है।’ अकबर बोले, ‘बीरबल! इस दुनिया में मुझे ‘बादशाह’ और ‘जहांपनाह’ कहने वाले बहुत लोग हैं, पर एक मेरी मां ही ऐसी थी जो मुझे हक से ‘ओ अकबरा’ कह के बुलाती थी। मुझे दुख मां के जाने का नहीं, बल्कि इस बात का है कि अब मुझे ‘ओ अकबरा’ कह के बुलाने वाला दुनिया में कोई नहीं रहा।’

Advertisement
Advertisement