मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Maha Kumbh 2025 : अस्थायी रेलवे मंडप में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, इलाहाबाद स्टेशन की दुर्लभ तस्वीरों की प्रदर्शनी 

इलाहाबाद में आयोजित माघ मेले की कुछ दुर्लभ ब्रिटिशकालीन तस्वीरें प्रदर्शित
Advertisement

महाकुंभनगर, 26 फरवरी (भाषा)

Maha Kumbh 2025 : प्रयागराज में छह सप्ताह से अधिक समय तक चले कुंभ मेले के दौरान रेलवे ने शहर के पुराने स्टेशनों और पुलों के साथ-साथ एक सदी पहले इलाहाबाद में आयोजित माघ मेले की कुछ दुर्लभ ब्रिटिशकालीन तस्वीरें प्रदर्शित कीं। महाकुंभ के अंतिम दिन रेलवे मंडप में तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ रही थी, जिनमें से अधिकांश लोग आगे की यात्रा के बारे में जानकारी लेने व वहां स्थापित अस्थायी बुकिंग काउंटर पर टिकट बुक कराने के लिए आए थे।

Advertisement

कई ने पुराने मिंटो पार्क के पास त्रिवेणी मार्ग पर रेलवे द्वारा बनाए गए मंडप में लगाई गई प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इलाहाबाद जंक्शन, 1908 के प्रयाग स्टेशन और 1953 के प्रयागघाट स्टेशन की कुछ दुर्लभ तस्वीरें कुंभ में आध्यात्मिक रुचि रखने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित कर रही हैं। पुराना इलाहाबाद जंक्शन औपनिवेशिक युग का और यूरोपीय वास्तुकला का ढांचा था और स्वतंत्रता के तुरंत बाद यात्रियों और तीर्थयात्रियों की भीड़ के मद्देनजर इसका बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण किया गया था।

स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ मेला 1954 में आयोजित हुआ था, जिसके दौरान तीन फरवरी को मौनी अमावस्या स्नान के दिन भगदड़ मच गई थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। इस बार महाकुंभ मेले में भी मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ की घटना हुई थी, जिसमें कम से कम 30 लोगों की जान चली गई। रेलवे ने 1853 में अपनी शुरुआत के बाद से ही भारत को जोड़ा है। उसने पिछले डेढ़ सदी में लाखों तीर्थयात्रियों को इस शहर तक पहुंचाया है।

प्रदर्शनी में विभिन्न स्टेशनों की तस्वीरों के अलावा, रेलवे ने 1912 और 1917 के माघ मेले की कुछ दुर्लभ तस्वीरें भी प्रदर्शित की हैं। इलाहाबाद में कई शताब्दियों से वार्षिक माघ मेला आयोजित होता रहा है तथा कुंभ मेला भी एक ऐसा ही माघ मेला है जो 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। एक तस्वीर में 1917 में दारागंज में "नावों का पुल" दिखता है जबकि एक अन्य तस्वीर वर्ष 1908 की है जो प्रयागराज में यमुना के बीच सुजावन देव मंदिर की है।

ऐतिहासिक कर्जन ब्रिज और उसके निर्माण की 1908 की दुर्लभ तस्वीरें भी प्रदर्शित की गई हैं। इस प्रदर्शनी का शीर्षक 'भारतीय रेल: अतीत के झरोखे से' है और इसमें पूर्ववर्ती ईस्ट इंडियन रेलवे (ईआईआर), ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (जीआईपीआर) के पुराने प्रतीक भी प्रदर्शित किए गए हैं। ईआईआर ने इलाहाबाद स्टेशन सहित हावड़ा और दिल्ली के बीच रेलवे पटरियों को बिछाया और स्टेशनों का निर्माण किया। साल 2018 में, इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया और दो साल बाद, चार पुराने स्टेशन के भी नाम बदल दिए गए। प्रयागघाट स्टेशन का नाम बदलकर प्रयागराज संगम कर दिया गया।

कुछ दिन पहले राजस्थान से यहां आए 22 वर्षीय गणेश देव ने कहा, "यह मंडप हम तीर्थयात्रियों के लिए वरदान साबित हो रहा है, न केवल सेवाओं के लिए बल्कि शानदार प्रदर्शनी के लिए भी। इलाहाबाद के पुराने स्टेशनों की कुछ तस्वीरें वाकई दुर्लभ हैं।" इलाहाबाद स्टेशन और रेल खंड को यात्रियों के लिए 1859 में खोला गया तथा यहां रेलवे का यमुना ब्रिज 1865 में बनकर तैयार हुआ।

Advertisement
Show comments