हंसी का टॉनिक
एकदा
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एक बार अल्बर्ट आइंस्टाइन किशोरों के साथ चर्चा के दौरान खूब हंसी-ठठ्ठा कर रहे थे। एक बुद्धिजीवी को यह नागवार गुजरा और उसने बीच में टोककर कहा, ‘एक वैज्ञानिक को इस तरह मस्ती-ठहाके मारकर हंसना नहीं चाहिए।’ अल्बर्ट आइंस्टाइन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘महाशय! आपको हंसी पसंद नहीं है, आप रुदन करने वाले हैं। यह आपका स्वभाव हो सकता है। लेकिन मैं कहता हूं कि हंसी की गागर छलकाते रहिए, जीवन की लंबी उम्र का आनंद लीजिए और हर संभव तरीके से जीवन में हंसी खोजिए। दूसरों को भी हंसाने का आनंद लीजिए।’
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