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जांच को आंच

एकदा
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लेनिन की मृत्यु के बाद स्टालिन ने अपने आपको एक तानाशाह के रूप में स्थापित कर लिया। स्टालिन ने एक बार अपने जासूसों की जांच करनी चाही। सो उसने गुप्त रूप से कुछ पर्चे छपवाये और शहर में इधर- उधर फिंकवा दिये। पर्चे में स्टालिन के बारे में अनर्गल बातें छपी थीं, मसलन- स्टालिन अन्यायी है, क्रूर है, झूठा है, स्वार्थी है आदि-आदि। दूसरे दिन वे पर्चे एकत्र कर उनके सामने पेश कर दिये गये। स्टालिन ने जासूसों के प्रमुख को बुलाकर अनजान बनते हुए पूछा, ‘तुम्हारी नजर में कौन ऐसा कर सकता है?’ ‘हुजूर आपके सिवा यह काम और कौन कर सकता है? भला आपके बारे में आपसे अधिक और कौन जानता है?’ जासूसों के मुखिया ने बड़े सहज भाव से जवाब दिया। स्टालिन अपने अधिकारी का मुंह देखता रह गया।

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