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Gyan ki Baatein : रात के समय श्मशान घाट के पास से गुजरने के लिए क्यों मना करती हैं दादी-नानी?

Gyan ki Baatein : रात के समय श्मशान घाट के पास से गुजरने के लिए क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 10 मार्च (ट्रिन्यू)

Gyan ki Baatein : रात के समय शमशान घाट के पास से गुजरने के लिए अक्सर दादी-नानी का मना करती हैं। यह प्राचीन मान्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। आज भी ऐसी जगहों पर जाने या उसके पास से भी गुजरने के लिए बड़े-बुजुर्ग मना करते हैं। इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक, मानसिक और धार्मिक कारण भी हो सकते हैं।

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धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास

शमशान घाट को हिन्दू धर्म में एक पवित्र स्थान माना जाता है, जहां जीवन का अंतिम संस्कार किया जाता है। यह स्थान मृत्यु और शांति का प्रतीक है और वहां जाने से अक्सर आत्मा की शांति और मुक्ति की भावना जुड़ी होती है सलिए, भारतीय संस्कृति में इसे एक भयावह और रहस्यमयी स्थान माना जाता है।

रात के समय क्यों होती है मनाही

ऐसा माना जाता है कि रात के समय शमशान घाट पर भूत-प्रेत, आत्माएं और अन्य अज्ञात शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं। यही कारण है कि दादी-नानी बच्चों को ऐसी जगहों से दूर रहने की सलाह देती हैं।

मानसिक सुरक्षा

रात का समय अंधेरे और शांति का समय होता है, जिससे वातावरण में एक अस्वाभाविक शांति छा जाती है। यह शांति भय और डर की भावना उत्पन्न कर सकती है। बच्चों को अंधेरे में अकेले या शमशान घाट जैसी जगहों पर जाने से डर लगता है और इससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दादी-नानी बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत और सुरक्षित रखने के लिए ऐसी जगहों से दूर रहने की सलाह देती हैं।

क्या है सायकॉलजिकल कारण?

अगर कोई व्यक्ति भावनात्मक या मानसिक रूप से कमजोर है तो उन्हें खासतौर पर ऐसी जगहों पर जाने के लिए मना किया जाता है। दरअसल, ऐसे व्यक्ति पहले ही नकारात्मक विचारों से घिरे होते हैं। ऐसे में क्रबिस्तान या श्मशान घाट पर जाने से उन पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कहीं अधिक बढ़ सकता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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