ट्रेंडिंगमुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

शुभ-अशुभ निहितार्थ

एकदा
Advertisement

अमेरिका के प्रसिद्ध हास्य लेखक मार्क ट्वेन एक पत्रिका का संपादन कर रहे थे। एक दिन उन्हें एक पाठक का शिकायत भरा पत्र मिला। उस पत्र में लिखा था कि जब वह अख़बार पढ़ रहा था, तब उसमें से एक मकड़ी निकल आई। पाठक ने सवाल उठाया कि अख़बार में से मकड़ी निकलना शुभ माना जाए या अशुभ? मार्क ट्वेन ने बड़े रोचक और व्यंग्यपूर्ण ढंग से उत्तर दिया, ‘शायद आपको यह नहीं पता कि हमारी पत्रिका को मकड़ियां भी पढ़ती हैं। उनका भी एक उद्देश्य होता है। वे यह देखती हैं कि किन दुकानदारों ने इस अंक में विज्ञापन नहीं दिया है। जिन दुकानों के विज्ञापन नहीं होते, वहां ग्राहक नहीं आते और बिक्री ठप रहती है। ऐसे में मकड़ियां निश्चिंत होकर उन्हीं दुकानों में घुस जाती हैं। दरवाज़ों पर जाले बुनती हैं और भीतर रखी वस्तुओं का आनंद लेती हैं। इसलिए जिन दुकानदारों ने विज्ञापन दिया है, उनके लिए तो मकड़ी का निकलना शुभ है – यह संकेत है कि उन्होंने सही निवेश किया। लेकिन जिनका विज्ञापन नहीं छपा, उनके लिए यह अशुभ संकेत है कि उनकी दुकान में अब सिर्फ मकड़ियां ही आएंगी!’

प्रस्तुति : सुरेन्द्र अग्निहोत्री

Advertisement

Advertisement