Ganadhipa Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आज, सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्ति के लिए करें ये काम
Ganadhipa Chaturthi 2025: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है, जो प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश को समर्पित है। यह व्रत जीवन से सभी विघ्नों, बाधाओं और संकटों को दूर करने वाला माना गया है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Chaturthi 2025) कहा जाता है। पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
इस व्रत में प्रातः स्नान करके संकल्प लिया जाता है और दिनभर निराहार रहकर रात्रि में चंद्रोदय के पश्चात पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित कर दीप प्रज्वलित करें और लाल फूल, दूर्वा, मोदक तथा लड्डू का भोग लगाएं। विशेष रूप से गणेश जी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। इसके अलावा तिल के लड्डू, गुड़ और केले का भोग भी अर्पित किया जा सकता है।
पूजन के समय निम्न मंत्रों का जप अत्यंत फलदायी माना गया है।
पूजन मंत्र:
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणेश गायत्री मंत्र:
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥
Panchang 8 November 2025: राष्ट्रीय मिति कार्तिक 17
शक संवत 1947
विक्रम संवत 2082
मास मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
वार शनिवार
सौर मास कार्तिक मास प्रविष्टे 23
अंग्रेजी तिथि 08 नवम्बर 2025 ई.
सूर्य स्थिति दक्षिणायन, दक्षिण गोल
ऋतु हेमन्त ऋतु
राहुकाल प्रातः 09:00 बजे से 10:30 बजे तक
तिथि तृतीया तिथि प्रातः 07:32 तक, उपरांत चतुर्थी तिथि आरंभ
नक्षत्र मृगशिरा रात्रि 10:02 तक, उपरांत आद्रा नक्षत्र आरंभ
योग शिव योग सायं 06:32 तक, उपरांत सिद्धि योग आरंभ
करण विष्टी करण प्रातः 07:32 तक, उपरांत कौलव करण आरंभ
विजय मुहूर्त दोपहर 01:53 से 02:37 तक
निशीथ काल रात्रि 11:39 से 12:31 तक
गोधूलि बेला सायं 05:31 से 05:57 तक
चन्द्र स्थिति प्रातः 11:14 तक वृष राशि में, उपरांत मिथुन राशि में संचार
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
