मुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

Maha Kumbh में भय पर भारी आस्था, आंखों से देखा मौनी अमावस्या भगदड़ का मंजर; फिर भी त्रिवेणी में लगाई डुबकी

पिछले महीने प्रयागराज में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी
प्रयागराज में रविवार को आस्था की डुबकी लगाते श्रद्धालु। - एएनआई
Advertisement

महाकुंभनगर (उप्र), 25 फरवरी (भाषा)

आस्था के भय पर भारी पड़ने का एक अनूठा उदाहरण बिहार के रौशन साह का है, जिन्होंने अपनी 80 साल की मां और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ महाकुंभ में त्रिवेणी में स्नान किया। रौशन के भाई 29 जनवरी को यहां हुई भगदड़ के दौरान महाकुंभ मेला क्षेत्र में मौजूद थे। बांका जिले के रहने वाले साह बिहार निवासी परिवार के 10 अन्य सदस्यों के साथ अब अयोध्या जा रहे हैं।

Advertisement

उन्होंने कहा कि मेरे बड़े भाई और भतीजा मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ नगर आए थे। वो उस स्थान करीब थे, जहां भगदड़ हुई थी। इसके बावजूद हम इस विशाल समागम में हिस्सा लेना चाहते थे, इसलिए हमने यह यात्रा की। इस परिवार से गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम स्थल पर पवित्र स्नान के बाद बातचीत की। साह की 80 वर्षीय मां चिंता देवी ने भी संगम में डुबकी लगाई।

पिछले महीने प्रयागराज में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे। हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भीड़भाड़ के कारण मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई थी। यह पूछे जाने पर कि क्या भगदड़ की घटनाओं के बाद वह महाकुंभ मेले में जाने को लेकर घबरा रही हैं, देवी ने कहा कि मर जाई ता तर जाई (अगर मैं मर जाऊंगी, तो मुझे मोक्ष मिलेगा)। मृत्यु भगवान की इच्छा है, इसलिए डर क्यों लगेगा?

उनके गृहनगर में कई लोगों ने सुरक्षा चिंताओं के कारण उन्हें महाकुंभ मेले में जाने से मना किया था। देश के विभिन्न भागों से आए सैकड़ों तीर्थयात्री संगम स्थल के पास प्रयागराज की सड़कों पर उमड़े हैं। ये लोग अपने गृहनगर या अगले गंतव्य की ओर जा रहे हैं।मुट्ठीगंज और कीडगंज को जोड़ने वाली सड़क जाम रही और इस पर वाहनों का आवागमन बंद रहा। साह और उनका परिवार शाम को प्रयागराज जंक्शन पहुंचने के लिए भारी भीड़ से दो-चार हुए।

उनके बहनोई सौरभ कुमार, उनकी पत्नी व मां और एक बच्चा उनके साथ संगम पहुंचे, जहां अब तक 60 करोड़ से अधिक लोग पवित्र स्नान कर चुके हैं। मुंगेर निवासी कुमार ने साह के विचारों को दोहराया और सोमवार को प्रयागराज से अपने हृदय में आस्था को समेटे हुए रवाना हुए। हमारे अंदर अभी भी डर है, हमें सड़कों पर और फिर रेलवे स्टेशन पर और फिर ट्रेन के अंदर भारी भीड़ का सामना करना पड़ा है। यह हमें अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक इच्छाओं को पूरा करने से नहीं रोक रहा है।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune newsHindi Newslatest newsMaha KumbhMaha Kumbh 2025Maha Kumbh NewsPrayagrajPrayagraj Newsदैनिक ट्रिब्यून न्यूजमहाकुंभ 2025महाकुंभ का नजारामहाकुंभ मेलामहाकुंभ समाचारहिंदी न्यूज