एक बार पटना के कॉलेज में विटमोर नाम के एक नये अंग्रेज प्रिंसिपल आए। वह भारतीय विद्यार्थियों के साथ काफी कड़ाई से पेश आते थे। विटमोर को कॉलेज आए कुछ समय हुआ था कि दिवाली का त्योहार आया। छात्रों ने निर्णय लिया कि मिल-जुलकर दिवाली मनाएं और पूरे कॉलेज को भी रोशनी से जगमगा दें। जब वे प्रिंसिपल के पास इसकी अनुमति मांगने पहुंचे तो विटमोर कड़क कर बोले, ‘बिल्कुल नहीं। इस बार दिवाली पर तुम लोगों की विशेष परीक्षाएं होंगी और जो छात्र अनुपस्थित रहेगा, उसे कॉलेज से बाहर निकाल दिया जाएगा।’ विद्यार्थियों ने जब यह सुना तो भौचक्के रह गए। प्रिंसिपल के विरोध करने का साहस कौन करता! लेकिन तभी एक विद्यार्थी आगे बढ़ा और बोला, ‘सर, मैं इस परीक्षा का बहिष्कार करता हूं।’ ‘तुम्हारी इतनी हिम्मत?’ प्रिंसिपल पूरी ताकत से गरजे। लड़का पीछे नहीं हटा तो उसे ताबड़तोड़ कई बेंत जड़ दिए। इसके बावजूद वह विद्यार्थी अपने निश्चय से टस से मस न हुआ। अब हैरान होने की बारी प्रिंसिपल साहब की थी। थोड़ी देर बाद बोले, ‘यह विद्यार्थी बड़ी से बड़ी शक्ति को हिलाने की हिम्मत रखता है।’ उन्होंने बच्चों को दिवाली मनाने की इजाजत दे दी। वह निडर छात्र कोई और नहीं बल्कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण थे।
प्रस्तुति : प्रवीण कुमार सहगल