Dhanteras 2025: धनतेरस आज, यहां पढ़ें खरीदारी व दीपदान का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Dhanteras 2025: आज धनतेरस का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन धन्वंतरि जयंती और शनि प्रदोष व्रत का विशेष योग बना है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान आज ही के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक पंचांग के अनुसार, आज पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, तैतिल करण और ब्रह्म योग के साथ सिंह राशि में चंद्रमा विराजमान है। इस दिन धनतेरस पर खरीदारी और सोना-चांदी, वाहन या नई वस्तु लेने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:18 बजे से आरंभ होकर पूरे दिन रहेगा। शाम के समय दीपदान का विशेष महत्व है।
Dhanteras 2025: दीपदान का शुभ मुहूर्त
पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक शनिवार को प्रदोष काल में शाम 5:47 बजे से 7:35 बजे तक दीपदान का शुभ मुहूर्त रहेगा। शास्त्रों में कहा गया है कि इस अवधि में दक्षिण दिशा की ओर दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
Dhanteras 2025: दीपदान की विधि और मंत्र
शाम के समय तिल के तेल से भरा मिट्टी का दीपक प्रज्वलित करें, गंधादि से पूजन करें और इसे अन्न के ढेर पर रख दें। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए और यह पूरी रात जलता रहना चाहिए। दीपदान करते समय यह मंत्र बोलें “मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम।” मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। धनतेरस का यह दीपक न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि का भी संदेश देता है।
Panchang 18 October 2025: राष्ट्रीय मिति आश्विन 26, शक संवत् 1947
विक्रम संवत् 2082
मास (चंद्र) कार्तिक, कृष्ण पक्ष
तिथि द्वादशी (मध्याह्न 12:19 तक), उपरांत त्रयोदशी प्रारंभ
वार शनिवार
सौर मास कार्तिक मास प्रविष्टे 02
अंग्रेजी तिथि 18 अक्टूबर 2025 ई.
सूर्य की स्थिति दक्षिणायण, दक्षिण गोल
ऋतु शरद ऋतु
राहुकाल प्रातः 09:00 बजे से 10:30 बजे तक
नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी (अपराह्न 03:42 तक), उपरांत उत्तरा फाल्गुनी प्रारंभ
योग ब्रह्म योग (01:48 मध्यरात्रोत्तर तक), उपरांत ऐन्द्र योग प्रारंभ
करण तैतिल करण (12:19 मध्याह्न तक), उपरांत वणिज करण प्रारंभ
विजय मुहूर्त दोपहर 02:00 बजे से 02:46 बजे तक
निशीथ काल रात्रि 11:41 बजे से 12:31 बजे तक
गोधूलि बेला शाम 05:48 बजे से 06:14 बजे तक
चंद्रमा रात्रि 10:12 बजे तक सिंह राशि में, उपरांत कन्या राशि में संचार
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।