Dhanteras 2025 : धनतेरस पर लोहे का सामान मत खरीदो... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
Dhanteras 2025 : धनतेरस, दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन होता है, जो कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, आभूषण, और अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है लेकिन आपने शायद कई बार अपनी दादी-नानी को यह कहते सुना होगा कि "धनतेरस पर लोहे का सामान मत खरीदो..." ऐसा क्यों कहा जाता है? इसके पीछे केवल अंधविश्वास नहीं बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रतीकात्मक कारण भी हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे...
धनतेरस पर क्यों नहीं खरीदना चाहिए लोहे?
धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस कारण इस दिन धातु के बर्तन, खासकर पीतल, तांबा, चांदी आदि की खरीदारी शुभ मानी जाती है। ये धातुएं सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।
शनि ग्रह से भी गहरा संबंध
लोहा पारंपरिक मान्यताओं में कठोरता, संघर्ष और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि लोहे की वस्तुएं शनि ग्रह से संबंधित होती हैं और शनि का संबंध कर्म, न्याय और दंड से जुड़ा होता है। ऐसे में अगर आप धनतेरस पर लोहे की चीजें खरीदते हैं तो इससे जीवन में संघर्ष या कष्ट बढ़ सकता है।
वहीं, धनतेरस का दिन लक्ष्मी माता और धन्वंतरि देव की कृपा प्राप्त करने का समय होता है। इस दिन लोहे से जुड़ी चीज़ें खरीदने को कुछ लोग शनि की ऊर्जा को निमंत्रण देने जैसा मानते हैं, जिससे लक्ष्मी की कृपा से वंचित होने का डर रहता है। इसलिए, दादी-नानी इस दिन ऐसी चीजों से बचने की सलाह देती हैं जिनमें शनि ग्रह की प्रतीकात्मकता हो।
क्या कहता है वास्तु शास्त्र?
वास्तु शास्त्र में भी धातुओं का विशेष महत्व है। तांबा, पीतल, चांदी और सोना सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित करने वाले माने जाते हैं। वहीं, लोहा और स्टील जैसी चीजें भारी ऊर्जा को आकर्षित करती हैं, जो घर के वातावरण को भारी व अस्थिर कर सकती हैं। माना जाता है कि लोहे से सकारात्मक ऊर्जा में रुकावट आ सकती है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।