Dev Diwali : वाराणसी के घाटों पर 'देव दीपावली' की शुरुआत, CM योगी हुए शामिल
वाराणसी में गंगा के पावन तट पर आस्था, संस्कृति एवं परंपरा के महापर्व ‘देव दीपावली' की शुरुआत बुधवार शाम वैदिक मंत्रोच्चार और ‘‘हर हर महादेव'' के उद्घोष के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्वलित करके की।
इससे पहले सुबह कार्तिक पूर्णिमा पर वाराणसी में गंगा घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी में डुबकी लगाई। देव दीपावली के पावन पर्व पर बुधवार शाम काशी के अर्धचंद्राकार गंगा घाटों पर जब शाश्वत ज्योति की लौ प्रज्वलित हुई, तो पूरा शहर दिव्यता और भव्यता के अद्भुत संगम में डूब गया। गंगा तट की सीढ़ियों पर जलते लाखों दीपों की रोशनी ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया, मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो। गोधूलि बेला में उत्तरवाहिनी गंगा की लहरों पर जब दीपों की सुनहरी आभा झिलमिलाई, तो पूरी काशी आलोकित हो गई।
देव दीपावली की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीप प्रज्वलित करके की। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल, विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, महापौर अशोक तिवारी ने भी दीप प्रज्वलित करके मां गंगा को नमन किया। इसके बाद सभी विशिष्ट अतिथियों ने क्रूज पर सवार होकर मां गंगा की आरती के साथ घाटों पर सजी देव दीपावली का अद्भुत नजारा लिया। योगी को अपने बीच देखकर जनता ने ‘‘हर हर महादेव'' का जयघोष भी किया।
मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर काशी की जनता और पर्यटकों का अभिवादन किया। धर्म के साथ राष्ट्रीयता का संदेश देते हुए दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति' की अनुकृति स्थापित की गई। यहां पर कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। देव दीपावली महोत्सव को ऑपरेशन सिंदूर के नाम समर्पित किया गया, जिसमें देश की वीर माताओं के आंचल को नमन किया गया। राज्य सरकार ने इस बार 10 लाख दीपों का लक्ष्य रखा था, लेकिन जन सहभागिता से यह संख्या बढ़कर 15 से 25 लाख दीपों तक पहुंच गई।
इन दीपों में एक लाख गाय के गोबर से निर्मित पर्यावरण अनुकूल दीप भी शामिल थे। घाटों, तालाबों, कुंडों और देवालयों पर दीपों की शृंखला ने काशी को सुनहरी माला की तरह सजा दिया। परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम चेत सिंह घाट पर दिखा, जहां 25 मिनट का ‘थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग' शो ‘काशी-कथा' प्रस्तुत की गई। इसमें भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी, भगवान बुद्ध के उपदेश, कबीर-दास और तुलसीदास की भक्ति परंपरा तथा महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक की यात्रा का दृश्य जीवंत किया। गंगा पार की रेत पर ‘कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो' ने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आसमान में गूंजती संगीतबद्ध आतिशबाजी और गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित रंगों ने दृश्य को और भी दिव्य बना दिया। दशाश्वमेध घाट की महाआरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में आरती की। 21 कुंटल फूल और 51 हजार दीपों से सजे घाट पर जब शंखनाद और घंटा-घड़ियालों की ध्वनि गूंजी, तो वातावरण में अद्भुत ऊर्जा का संचार हो गया। इस अवसर पर अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान' से सम्मानित किया गया। देव दीपावली पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। बाबा के दरबार को फूल और रोशनी से भव्य रूप में सजाया गया। धाम का पूरा परिसर दीपों से जगमगा उठा, जहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा रहा है।
