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Dadi-Nani Ki Baatein : शाम के बाद तुलसी को जल देने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : शाम के बाद तुलसी को जल देने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
Ocimum sanctum
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चंडीगढ़, 15 मई (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : हिदू धर्म में तुलसी का पौधा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह न केवल आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं में भी इसका विशेष स्थान है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहीं सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। वहीं, हिंदू धर्म में तुलसी पर जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है लेकिन दादी-नानी और बुजुर्गों द्वारा अक्सर शाम के बाद तुलसी को जल देने से मना किया जाता है। चलिए जानते हैं इसका कारण

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शाम को क्यों नहीं देना चाहिए तुलसी को जल?

हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है। तुलसी माता की पूजा विशेष रूप से सूर्योदय के समय की जाती है, जब वातावरण शुद्ध होता है। शाम के समय को "रात्रि का आगमन" माना जाता है और यह समय पूजा-पाठ या पवित्र कार्यों के लिए आदर्श नहीं माना जाता। माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है और ऐसे समय में तुलसी को जल देना अपवित्रता का सूचक हो सकता है। दादी-नानी इसी कारण शाम को तुलसी में जल देने से रोकती हैं।

धूप और ऊर्जा से संबंध

तुलसी एक ऐसा पौधा है जो सूरज की रोशनी में सबसे अधिक सक्रिय रहता है। दिन के समय यह अधिक मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है और वातावरण को शुद्ध करता है। शाम के बाद जब सूरज की रोशनी नहीं होती, तो पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया (Photosynthesis) रुक जाती है। ऐसे समय में जल देने से नमी अधिक हो सकती है, जिससे पौधे की जड़ों में फंगस या सड़न होने की संभावना बढ़ जाती है।

कीट और मच्छरों का बढ़ना

शाम के समय वातावरण में नमी बढ़ जाती है और जल डालने से यह और बढ़ सकती है, जिससे कीट व मच्छर तुलसी के आसपास जमा हो सकते हैं। तुलसी को स्वच्छ और शुद्ध वातावरण की आवश्यकता होती है इसलिए रात के समय पानी देने से इसका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

परंपरा और अनुशासन

पुरानी पीढ़ियां परंपराओं के माध्यम से अनुशासन और नियमितता सिखाने का प्रयास करती थीं। सुबह तुलसी को जल देने की परंपरा एक प्रकार से दिन की अच्छी शुरुआत करने का प्रतीक बन गई। दादी-नानी इस परंपरा को बनाए रखने के लिए शाम के समय जल देने से मना करती थीं ताकि अगली सुबह फिर से उस नियम का पालन हो।

प्राकृतिक ऊर्जा संतुलन

भारतीय वास्तुशास्त्र और आयुर्वेद में यह माना जाता है कि तुलसी का पौधा सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) उत्पन्न करता है। शाम के बाद जल देना इस ऊर्जा संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, यह भी एक कारण हो सकता है कि बुजुर्ग शाम को तुलसी में जल देने से मना करते हैं।

शाम के बाद तुलसी को जल नहीं देना केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि इसके पीछे धार्मिक आस्था, पर्यावरणीय समझ और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। दादी-नानी की ये बातें अनुभव और परंपरा का संगम होती हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान और अनुशासन को बनाए रखने का माध्यम बनती हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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