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Dadi-Nani Ki Baatein : धूप तेज है छत पर पापड़ मत सुखाओ... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : धूप तेज है छत पर पापड़ मत सुखाओ... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

चंडीगढ़, 28 मई (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : भारत में पारंपरिक ज्ञान और रीति-रिवाजों का विशेष स्थान है। दादी-नानी की बातें सुनने में पुरानी जरूर लग सकती हैं लेकिन इनमें गहराई और अनुभव छिपा होता है। "नौतपा" (नौ तप = नौ दिनों की तपन) यानी साल के सबसे गर्म नौ दिन, जो आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में आते हैं। इस दौरान तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है। यह समय सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करने से जुड़ा होता है, जब गर्मी चरम पर होती है। ऐसे में दादी-नानी अक्सर छत पर पापड़, बड़ी या अन्य चीजें सुखाने से मना करती हैं। इसके पीछे कई व्यावहारिक और सांस्कृतिक कारण हैं...

अत्यधिक गर्मी से प्रभावित होती है गुणवत्ता

नौतपा के दौरान तापमान इतना अधिक हो जाता है कि छत पर सूखने वाला पापड़ बहुत तेजी से सूखने लगता है, जिससे वह टूट सकता है या उसका स्वाद बिगड़ सकता है। बहुत अधिक तेज धूप में पापड़ सूखने के बजाए जलने लगता है, जिससे उसका रंग बदल सकता है और वह कुरकुरा होने के बजाय सख्त या कड़वा हो सकता है।

हवा में नमी और धूल

नौतपा के दौरान वातावरण बहुत शुष्क हो जाता है और हवा में धूलकण अधिक होते हैं। अगर आप छत पर पापड़ सुखाते हैं, तो उन पर धूल, मिट्टी और कीट बैठ सकते हैं, जिससे वे अस्वच्छ हो जाते हैं। दादी-नानी स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिहाज से यह जोखिम नहीं लेना चाहतीं।

अग्नि तत्व का प्रभाव

भारतीय ज्योतिष और आयुर्वेद के अनुसार, नौतपा के दौरान "अग्नि तत्व" सक्रिय रहता है। यह समय शरीर और प्रकृति दोनों के लिए संतुलन का नहीं होता। माना जाता है कि इस समय पकाने या सुखाने की प्रक्रिया से खाने की चीजें "अग्नि तत्व" से प्रभावित हो सकती हैं, जिससे उनका पाचन कठिन हो सकता है।

तेज धूप में कम होता है पौष्टिकता

तेज तापमान में लंबे समय तक किसी भी खाद्य पदार्थ को रखने से उसमें मौजूद पोषक तत्व (जैसे प्रोटीन, विटामिन आदि) नष्ट हो सकते हैं। दादी-नानी चाहती हैं कि जो कुछ भी खाया जाए वह पोषक और स्वच्छ हो इसलिए वह चाहती हैं कि पापड़ सुखाने का काम नौतपा के बाद किया जाए।

अनुभव आधारित चेतावनी

दादी-नानी का अनुभव कहता है कि इस समय मौसम अस्थिर होता है - कभी गर्म लू, कभी अचानक बारिश। ऐसे में छत पर रखे पापड़ नष्ट हो सकते हैं। साथ ही, परिवार के लोग धूप में बार-बार जाकर बीमार भी पड़ सकते हैं।

दादी-नानी की यह सलाह केवल अंधविश्वास नहीं बल्कि मौसम, स्वास्थ्य, स्वच्छता और अनुभव का मिश्रण है। नौतपा में छत पर पापड़ सुखाने से मना करने का उद्देश्य यही है कि खाने की चीजें सुरक्षित, पौष्टिक और स्वादिष्ट बने रहें। उनके ये छोटे-छोटे नियम, पीढ़ियों से चली आ रही जीवनशैली को मौसम के अनुसार ढालने की बुद्धिमत्ता का परिचायक हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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