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Dadi-Nani Ki Baatein : तुलसी माता को सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं, क्या कहती है दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : तुलसी माता को सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं, क्या कहती है दादी-नानी?
Ocimum sanctum
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चंडीगढ़, 27 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय संस्कृति में तुलसी माता को अत्यंत पवित्र और देवीस्वरूप माना गया है। हिंदू धर्म में तुलसी या वृंदा को माता लक्ष्मी जी का अवतार भी माना जाता है और भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी के रूप में पूजा जाता है इसलिए तुलसी के पौधे को घर में रखना और उसकी पूजा करना सौभाग्य व सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

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मगर, कई लोगों के मन में सवाल रहता है कि तुलसी माता को सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं? वैसे तो इस विषय लोगों की राय अलग-अलग होती है। अगर हम परंपराओं और दादी-नानी की बात मानें, तो वे इस पर विशेष विश्वास रखती हैं।

दादी-नानी की मान्यताएं क्या कहती हैं?

घरों में जब दादी-नानी तुलसी पूजा करती थीं, तो वे तुलसी माता को जल अर्पित करने के बाद दीपक जलाकर उन्हें सिंदूर भी अर्पित करती थीं। उनके अनुसार, तुलसी माता एक सुहागन देवी हैं और सुहागिन स्त्रियों को सजाने की परंपरा होती है। ठीक वैसे ही तुलसी माता को भी सिंदूर, चूड़ियां, चुनरी आदि अर्पित की जाती हैं।

विशेषकर तुलसी विवाह के दिन, जिसे देव उठनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन तुलसी माता का विवाह शालिग्राम भगवान से किया जाता है। इस दिन तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है, उन्हें सिंदूर, हल्दी, चूड़ी और साड़ी चढ़ाई जाती है। ऐसे में यह माना जाता है कि तुलसी माता को सिंदूर अर्पण करना शुभ और धार्मिक दृष्टि से उचित है।

राक्षस से हुआ था तुलसी माता का विवाह

पौराणिक कथाओं में तुलसी माता को विष्णु जी की पत्नी कहा गया है। एक कथा के अनुसार, तुलसी का विवाह पहले राक्षस शंखचूड़ से हुआ था और फिर उनका पुनर्जन्म वृंदा के रूप में हुआ। विष्णु जी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें तुलसी रूप में अमरत्व प्रदान किया और वरदान दिया कि वे हर पूजा में शामिल रहेंगी। इस मान्यता के आधार पर तुलसी को एक पवित्र सुहागन देवी के रूप में देखा जाता है इसलिए उन्हें सिंदूर चढ़ाना पूजा की एक भावनात्मक अभिव्यक्ति मानी जाती है।

दादी-नानी की बात मानी जाए तो तुलसी माता को सिंदूर लगाना एक पवित्र परंपरा है, जो उन्हें सुहागन देवी मानकर की जाती है। यह श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, न कि कोई धार्मिक बाध्यता। इसलिए अगर आप श्रद्धा से प्रेरित हैं, तो तुलसी माता को सिंदूर चढ़ा सकते हैं - यह पुण्यदायक ही माना जाएगा।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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