Dadi-Nani Ki Baatein : ब्रह्म मुहूर्त में जन्में लोग होते हैं भाग्यशाली, ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 22 जून (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय संस्कृति में समय का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है "ब्रह्म मुहूर्त" - वह पवित्र समय जब वातावरण सबसे शांत, ऊर्जा सबसे शुद्ध और मन सबसे स्थिर होता है। यही कारण है कि बड़े-बुज़ुर्ग, खासकर दादी-नानी यह मानती हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में जन्म लेने वाले लोग भाग्यशाली यानी 'लकी' होते हैं। यह धारणा केवल परंपरा या आस्था पर आधारित नहीं है बल्कि इसके पीछे कई गहरे सांस्कृतिक, मानसिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं।
ब्रह्म मुहूर्त क्या है?
"ब्रह्म मुहूर्त" का शाब्दिक अर्थ है - "ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) का समय"। यह सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का समय होता है, यानी लगभग सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच। यह समय मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है।
शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा का समय
ब्रह्म मुहूर्त के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बहुत कम होती है। हवा में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर और मस्तिष्क दोनों को ताजगी मिलती है। इस समय जन्म लेने वाले शिशु पर यह सकारात्मक वातावरण प्रारंभ से ही प्रभाव डालता है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक ग्रोथ बेहतर होती है।
बुद्धिमत्ता और ज्ञान की वृद्धि
दादी-नानी मानती हैं कि ब्रह्म मुहूर्त ईश्वर के साथ जुड़ने का सबसे उपयुक्त समय है। कई ग्रंथों में लिखा गया है कि इस समय में पढ़ाई या ध्यान करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है। यदि कोई बच्चा इस समय जन्म लेता है, तो ऐसा माना जाता है कि उसमें जन्मजात रूप से अधिक समझदारी, ज्ञान और आध्यात्मिक चेतना होती है।
शांत और संतुलित स्वभाव
ब्रह्म मुहूर्त के समय वातावरण शांत और स्थिर होता है। जो शिशु इस समय जन्म लेते हैं, उनका स्वभाव भी सामान्यतः शांत, सहनशील और संयमित होता है। दादी-नानी अक्सर यह भी कहती हैं कि ऐसे बच्चे बड़े होकर संयमित जीवन जीते हैं और कठिन परिस्थितियों में भी संतुलन बनाए रखते हैं।
माने जाते हैं भाग्यशाली
परंपरागत मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में जन्म लेना पिछले जन्मों के अच्छे कर्मों का फल होता है। दादी-नानी इसे एक शुभ संकेत मानती हैं कि ऐसा बच्चा न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी सौभाग्य लेकर आता है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु
विज्ञान भी मानता है कि सुबह-सुबह की शुद्ध हवा शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देती है। ब्रह्म मुहूर्त में जन्म लेने वाले बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। दादी-नानी यह मानती हैं कि ऐसे लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान भी ब्रह्म मुहूर्त के प्रभाव को नकारता नहीं है। यह समय शरीर की "बायोलॉजिकल क्लॉक" के अनुसार सबसे उपयुक्त समय होता है जब मस्तिष्क सबसे सक्रिय और सजग होता है। इस समय शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन संतुलित रहते हैं, जिससे मन शांत और सकारात्मक रहता है। यदि बच्चा ऐसे माहौल में जन्म लेता है, तो उसके विकास पर सकारात्मक असर पड़ता है।
ज्योतिषीय मान्यता
भारतीय ज्योतिष में भी जन्म का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त में जन्म लेने वाले लोगों की कुंडली प्रायः शुभ ग्रहों से युक्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस समय जन्मे लोग नेतृत्व गुणों से भरपूर होते हैं और जीवन में उच्च पदों तक पहुँचते हैं।
दादी-नानी का अनुभव और परंपरा
दादी-नानी की बातें केवल कहानियां नहीं होतीं, बल्कि वे जीवन के अनुभवों का सार होती हैं। वर्षों से उन्होंने देखा है कि ब्रह्म मुहूर्त में जन्म लेने वाले लोग अपने व्यवहार, सोच और कर्मों में विशेष होते हैं। इसलिए वे यह बात विश्वास के साथ कहती हैं कि ये लोग 'लकी' होते हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।