मदन गुप्ता सपाटू
हमारे हर धार्मिक पर्व, व्रत या अनुष्ठान के पीछे एक विशिष्ट उद्देश्य होता है, जिसके पार्श्व में कहीं न कहीं वैज्ञानिक या व्यावहारिक तथ्य छिपा है। उदाहरणार्थ श्री सत्यनारायण व्रत के पीछे ऐसा ही विचार निहित है कि प्राणी एक मास में कम से कम एक दिन पूरी तरह सत्य बोले या सच बोलने का प्रण ले। इसी प्रकार मौनी अमावस्या पर एक दिन चुप रहकर अपनी ऊर्जा की बचत करे। इस बार मौनी अमावस्या मंगलवार, 1 फरवरी को है। यह 31 जनवरी को दोपहर 2:20 बजे से शुरू होकर 1 फरवरी को दिन में 11:18 बजे समाप्त होगी। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। ग्रह दोष समाप्त होते हैं। इस दिन दान का भी विशेष महत्व माना गया है। तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कपड़े, गर्म वस्त्र, कंबल और जूते दान करना चाहिये। जिनकी कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है, उन्हें इस दिन दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का महत्व : शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक, भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता गंगा में वास करते हैं, जो पापों से मुक्ति देते हैं।
- मौनी अमावस्या के दिन सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। व्रत रखकर, जहां तक संभव हो, मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
- अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
- हर अमावस्या की तरह माघ अमावस्या पर पितरों को जरूर याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत-पर्व
31 जनवरी- पितृकार्येषु अमावस, रटन्ती कालिका पूजा (बंगाल), तीर्थ स्नान व तर्पणादि का महात्म्य-2 दिन (हरिद्वार- प्रयागराजादि)
1 फरवरी- माघ (मौनी) अमावस, भौमवती अमावस, महोदय योग (प्रात: 6.41 से 11.16 तक), त्रिवेणी अमावस पंचकारंभ (सुबह 6.45 से)
2 फरवरी- माघ शुक्ल पक्षारंभ, चंद्रदर्शन (15 मुहूर्ति), गुप्त नवरात्र प्रारंभ, बाबा श्री लाल दयाल जयंती (ध्यानपुर, पंजाब)
3 फरवरी- गौरी तृतीया व्रत, रज्जब (मुस्लिम) मास प्रारंभ, उर्स मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर (मुस्लिम)
4 फरवरी- श्री गणेश तिल चतुर्थी, वरद् (कुन्द) चतुर्थी
5 फरवरी- वसंत पंचमी, श्री पंचमी, सरस्वती पूजा, वागेश्वरी जयंती, लेखनी पूजा (बंगाल)। -सत्यव्रत बेंजवाल