गुण-प्रतिभा की कद्र
संत गिरिजानंद के पास एक कलाकार आया। वह सुअवसर न मिलने से काफी हताश तथा परेशान था। संत के सामने नतमस्तक होकर अपने साथ के सफल कलाकारों की बुराई करने लगा। संत उसकी समस्या समझ गये। संत ने उस कलाकार...
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संत गिरिजानंद के पास एक कलाकार आया। वह सुअवसर न मिलने से काफी हताश तथा परेशान था। संत के सामने नतमस्तक होकर अपने साथ के सफल कलाकारों की बुराई करने लगा। संत उसकी समस्या समझ गये। संत ने उस कलाकार के गुण तथा प्रतिभा उसको फिर याद दिलाये। उससे कहा कि कभी यह मत भूलो कि जो शरीर व मस्तिष्क ईश्वर ने विश्व के सबसे सफल व्यक्ति को दिया है, वही आपको भी दिया है। बस आपको उसका उपयोग कैसे करना है, यह आप तय करेंगे। इसलिए यह बार-बार चिंतन करते रहो कि इसका सदुपयोग करना है। अपनी इस अनमोल ऊर्जा को यूं ही बर्बाद करके अपनी आयु को खत्म करने से बेहतर है, इसका उपयोग समाधान ढूंढ़ने में किया जाए।
प्रस्तुति : पूनम पांडे
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