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धैर्य से कामयाबी की मिसाल

एकदा
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डॉ. बेंजामिन कार्सन, जो न्यूरोसर्जरी विभाग में कार्यरत थे, के सामने एक असाधारण और अत्यंत जटिल चुनौती आई। उन्हें दो ऐसे जुड़वां बच्चों का ऑपरेशन करना था, जिनके मस्तिष्क खोपड़ी के ऊपरी हिस्से से जुड़े हुए थे। यह ऑपरेशन चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में अब तक का सबसे जटिल न्यूरोसर्जिकल कार्य माना जा रहा था। किसी भी छोटी-सी चूक से दोनों की जान जा सकती थी। ऑपरेशन से पहले टीम के सभी सदस्य आशंकित थे। कुछ ने कहा, ‘यह असंभव है। कोई भी डॉक्टर यह अकेले नहीं कर सकता।’ लेकिन डॉ. कार्सन ने शांत भाव से उत्तर दिया, ‘हम यह कर सकते हैं। यदि हम योजना के अनुसार आगे बढ़ें और धैर्य बनाए रखें, तो सफलता संभव है।’ ऑपरेशन कुल 22 घंटे तक चला। हर क्षण चुनौतीपूर्ण था, हर निर्णय अहम। कार्सन ने न केवल तकनीकी कौशल दिखाया, बल्कि टीम का मनोबल भी ऊंचा बनाए रखा। उन्होंने लगातार टीम के साथ समन्वय रखते हुए निर्णय लिए और बच्चों की स्थिति पर बारीकी से नज़र रखी। अंततः दोनों बच्चों को सुरक्षित रूप से अलग कर लिया गया। यह सफलता न केवल डॉ. कार्सन को विश्व प्रसिद्ध बना गई, बल्कि यह ऑपरेशन चिकित्सा इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया — यह दिखाने के लिए कि अगर नेतृत्व में आत्मविश्वास, टीम में एकता और काम में धैर्य हो, तो असंभव भी संभव हो सकता है।

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