हौसले की मिसाल
कम उम्र में ही बीमारियों के कारण वह बच्ची बहरी हो गई। मां ने उसे होंठ से पढ़ना सिखाया। बड़ी होने पर उसे गोताखोरी और तैराकी करना बहुत अच्छा लगने लगा। मां ने उसे गोताखोरी की कोचिंग दिलाई। वर्ष 1964 में टोक्यो ओलंपिक के लिए अमेरिकी टीम के ट्रायल में वह बारहवें स्थान पर रही। मगर स्पाइनल मेनिन्जाइटिस की बीमारी ने उसके सपनों को तोड़ दिया। इसके बाद उसने हैंग ग्लाइडिंग, वॉटर स्कीइंग और स्काई डाइविंग जैसे खेलों का अभ्यास शुरू किया। वॉटर स्कीइंग स्पीड रेसिंग उसके लिए उपयुक्त साबित हुई। इसके बाद वह मोटरसाइकिल और रॉकेट-ईंधन वाली कारों की रेसिंग में आगे बढ़ी। अपनी मेहनत से कई स्पीड रिकॉर्ड बनाकर उसने दुनिया को दंग कर दिया। खेलों के दौरान उसकी मुलाकात स्टंटमैन रोनाल्ड डफी हैम्बलटन से हुई और दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। हैम्बलटन ने अपनी पत्नी के सपनों को पूरा करने के लिए उसे हेल नीडहम से मिलवाया, जो एक स्टंटमैन से निर्देशक बने थे। नीधम ने युवती को ‘स्टंटवुमन’ के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, और पूरा विश्व एक बार फिर दांतों तले उंगलियां दबाकर रह गया। उन्हें उनकी अद्भुत कार्यक्षमता के लिए ‘फास्टेस्ट वुमन ऑफ द वर्ल्ड’ के खिताब से सम्मानित किया गया। आज पूरा विश्व उन्हें किट्टी ओ’नील के नाम से जानता है।
प्रस्तुति : रेनू सैनी