कल्पना-साहस का जीवन
जीवन के शुरुआती दौर में चार्ली चैपलिन की दुनिया केवल दो लोगों तक सीमित थी—उनकी मां और बड़े भाई। परिवार बेहद कठिन समय से गुजर रहा था। वे गिरजाघरों की सहायता पर निर्भर थे और कई बार शो की टिकटें बेचकर ही गुज़ारा होता था। सिडनी स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ चैपलिन अख़बार भी बेचते थे, फिर भी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं। चैपलिन के अनुसार, जीवन में सबसे बुरी चीज़ है ऐशो-आराम की लत। उनकी मां हाना ने उन्हें सिखाया कि जब जेब खाली हो, तब भी मन और कल्पना से जीवन को रंगीन बनाया जा सकता है। वे खिड़की पर बैठकर राह चलते लोगों को देखकर उनके हावभाव से चरित्र गढ़तीं, कहानियां सुनातीं, और कभी-कभी उनकी नकल भी करतीं। यही कल्पनाशक्ति और अभिनय कला चैपलिन के व्यक्तित्व में उतर आई। चैपलिन मानते थे— ‘जिंदगी खूबसूरत हो सकती है, अगर आप इससे डरें नहीं। ज़रूरत है बस थोड़े से पैसों, थोड़े से साहस और ढेर सारी कल्पना की।’ उनकी एक अमूल्य सीख आज भी प्रेरणा देती है— ‘अगर आप नीचे देखेंगे, तो कभी भी इंद्रधनुष नहीं देख पाएंगे। इस रूप बदलती दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है—यहां तक कि हमारी परेशानियां भी नहीं।’