डांस पे चांस!
यशराज कैंप की चर्चित फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ हालांकि बॉक्स ऑफिस पर पिट गई, लेकिन इस फिल्म ने कम से कम यह मैसेज देने की कोशिश तो की कि अगर सलीके से नाचना-गाना आए, तो किसी का भी दिल जीता जा सकता है। फिल्म का यह गाना तब खूब चला था— ‘वो बंदा ही क्या है जो नाचे ना गाए… आ हाथों में तू हाथ थाम ले, ओए डांस पे चांस मार ले!’ इस संदर्भ में हम कह सकते हैं कि बॉलीवुड के फिल्मकारों ने हमेशा ही डांस पे चांस मारने की कोशिश की है। शाहिद कपूर की हालिया रिलीज फिल्म ‘चांस पे डांस’ इस सिलसिले की नई कड़ी है। वैसे बॉलीवुड में डांस पर आधारित फिल्मों का निर्माण हर दौर में हुआ है।
आजा नच ले (2007)
माधुरी दीक्षित के मेगा स्टारडम का सफर ‘एक दो तीन’, ‘धक धक करने लगा’, ‘चोली के पीछे क्या है’ जैसे चार्टबस्टर गीतों में उनके शानदार, लचीले डांस की बदौलत तेजी से आगे बढ़ा। लेकिन इस नृत्य पसंद अभिनेत्री को अपने सुपर स्टारडम के दिनों में डांस पर पूरी तरह आधारित एक भी फिल्म करने का मौका नहीं मिला—हालांकि के. विश्वनाथ की ‘संगीत’ (1992) और यश चोपड़ा की ‘दिल तो पागल है’ में उन्होंने डांसर का किरदार निभाया। इसलिए, यह बहुत सुकून देने वाली खबर थी कि जब माधुरी ने 2007 में कमबैक किया तो इसके लिए ‘आजा नच ले’ जैसी फिल्म का चुनाव किया, जिसने गीत और नृत्य के मामले में अपनी प्रतिभा दिखाने का उन्हें बेहतरीन मौका दिया। माधुरी ने इस फिल्म में ऐसी एनआरआई लड़की का किरदार निभाया, जिसने डांस बैले के जरिए अपने पैतृक कस्बे के छोटे से थियेटर को बचाया। फिल्म में माधुरी का डांस तूफान जैसा था। यशराज बैनर की एक और फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ में भी डांस और म्यूजिक को आधार बनाकर नायक और नायिका के मिलन की दास्तान रची गई। इस फिल्म में शाहरुख खान जैसे सितारे के साथ नई अदाकारा अनुष्का शर्मा ने परदे पर डेब्यू किया।
नाच (2004)
रामगोपाल वर्मा की ‘रंगीला’ (1995) में उर्मिला ने एक डांसर-अभिनेत्री का किरदार निभाया था, लेकिन इसके एक दशक बाद उनके डांस ड्रामा ‘नाच’ (2004) में रामू और इसकी अभिनेत्री अंतरा माली के डांस के प्रति पैशन की इन्तेहा का पता चला। बदकिस्मती से यह फिल्म वर्मा के कॅरियर के उस चरण में आई, जब उनकी ‘रंगीला’ के दिनों की चमक अंधेरे में तबदील हो चुकी थी। ‘नाच’ की अच्छी कहानी के बावजूद इसे दर्शकों ने पसंद नहीं किया। फिल्म एक ऐसे सच्चे कलाकार की कहानी थी, जो अपनी कला की पवित्रता के लिए किसी तरह के समझौते से इनकार करती है।
नाचे मयूरी (1986)
सुधा चंद्रन ने अपने जीवन पर आंशिक रूप से आधारित इस कहानी में ऐसी डांसर का किरदार निभाया, जो अपने
पैर खो चुकी है… लेकिन डांस के लिए अपनी इच्छा शक्ति नहीं। सुधा की जुनून भरी प्रस्तुति ने साबित कर दिखाया कि उनके और उनके डांस के बीच बड़ी से बड़ी अड़चन भी नहीं ठहर सकती। उन्होंने मयूरी के रूप में डांस कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया और फिल्म के टाइटल ट्रैक ‘झूम झूम नाचे मयूरी’ में जान फूंकी।
डिस्को डांसर (1982)
बी. सुभाष की इस फिल्म में अस्सी के दशक के एनर्जेटिक डांस—डिस्को के प्रति क्रेज को बखूबी दिखाया गया था। और डांस आधारित इस फिल्म ने मिथुन चक्रवर्ती को सीधे ही सुपर स्टारडम तक पहुंचा दिया था। बदले की कहानी के बीच नायक के डांसिंग हीरो के रूप में उभरने की दास्तान को इसमें दिखाया गया और बप्पी लहरी के कंपोज किए गीत ‘आई एम ए डिस्को डांसर’ पर मिथुन के लटके- झटकों ने इस गाने को सभी डांस प्रेमियों का चहेता गीत बना दिया।
आम्रपाली (1966)
जहां वैजयंतीमाला की हर फिल्म में दो (या कुछ ज्यादा) डांसिंग गाने अनिवार्य माने जाते थे, वहीं ‘आम्रपाली’ में पूरी तरह से उनके डांस कौशल को दिखाया गया। इस पीरियड फिल्म में वैजयंतीमाला ने दरबार की ऐसी नर्तकी का किरदार निभाया था, जिसे दुश्मन देश के शासक से प्यार हो जाता है। उन्होंने डांस के हर अवसर का बखूबी इस्तेमाल किया और कैमरे पर वे बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में नजर आईं।
झनक झनक पायल बाजे (1955)
वी. शांताराम की चर्चित फिल्म ‘झनक झनक पायल बाजे’ शुरुआती रंगीन फिल्मों में थी और यह पूरी तरह डांस पर केंद्रित थी। मशहूर डांसर और कोरियोग्राफर उदयशंकर इस फिल्म के हीरो थे, जो संध्या के साथ डांस प्रतियोगिता जीतने के लिए टीम बनाते हैं, लेकिन फिर उनसे प्यार करने लगते हैं। दो दशक के बाद शांताराम ने एक और डांस ड्रामा ‘जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली’ (1971) बनाया, लेकिन इसे वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली, जैसी आज भी ‘झनक झनक पायल बाजे’ को मिलती है।
प्रतीक एम.