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पुलवामा आतंकी हमले में रेवाड़ी का जांबाज हरी सिंह शहीद

तरुण जैन/निस रेवाड़ी, 18 फरवरी जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के दौरान हुई मुठभेड़ में रेवाड़ी के गांव राजगढ़ का 25 वर्षीय जवान हरीसिंह राजपूत शहीद हो गया। जैसे ही हरी सिंह की शहादत का समाचार गांव पहुंचा तो परिवार […]
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तरुण जैन/निस
रेवाड़ी, 18 फरवरी
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के दौरान हुई मुठभेड़ में रेवाड़ी के गांव राजगढ़ का 25 वर्षीय जवान हरीसिंह राजपूत शहीद हो गया। जैसे ही हरी सिंह की शहादत का समाचार गांव पहुंचा तो परिवार में मातम छा गया और गांव में सन्नाटा पसर गया। हरीसिंह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा और तीन बहनों का अकेला भाई था। शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह गांव पहुंचने की उम्मीद है।
गांव राजगढ़ के अग्नि सिंह के बेटे हरीसिंह 8 साल पहले सेना में बतौर सिपाई भर्ती हुए थे। पिता भी सेना से 8 साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ग्रेनेडियर के पद पर तैनात हरीसिंह हाल ही में नायक के पद पर पदोन्नत हुए थे और इस समय पुलवामा में तैनात थे। 40 जवानों की शहादत के बाद सेना के चल रहे सर्च अभियान में हरीसिंह भी शामिल थे। सोमवार की सुबह 5 बजे आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में एक मेजर सहित चार जवान शहीद हो गए। परिजनों की नजर लगातार टीवी चैनलों पर आ रही मुठभेड़ की खबरों पर लगी हुई थी। कहीं न कहीं एक भय परिवार के दिल में भी समाया हुआ था, लेकिन जैसे ही जिला सैनिक बोर्ड का सुबह 9 बजे हरीसिंह की पत्नी राधा देवी के पास उसकी शहादत का फोन आया तो वह बेहोश होकर गिर पड़ी। परिवार में मातम छा गया। गांववासियों को जब इस दुखद समाचार का पता चला तो गांव में किसी के घर भी चूल्हा नहीं जला। वृद्ध मां पिस्ता देवी और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था। हरीसिंह की शादी दो साल पूर्व हुई थी और उसके लगभग एक साल का बेटा भी है। वह अपने पिता की इस शहादत से बेखबर है।

रेवाड़ी के गांव राजगढ़ में सोमवार को पुलवामा के हरी सिंह के शहीद होने के बाद जुटे ग्रामीण। -निस

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परिवार से हुई थी बात
गांव के सरपंच गोवर्धन सिंह ने बताया कि हरीसिंह का पार्थिव शरीर जम्मू से हवाई जहाज द्वारा रवाना हो चुका है। उन्होंने कहा कि हरीसिंह एक बहादुर परिवार का बेटा था। उसके पिता भी सेना में थे। हरीसिंह की अपने परिजनों से फोन पर बात होती रहती थी। लेकिन 40 जवानों की शहादत के बाद उसकी परिवार से बात नहीं हुई।
शहादत पर गर्व
शहीद के चचेरे भाई रणजीत सिंह ने बताया कि वैसे तो भाई की शहादत पर परिवार व गांव को गर्व है, लेकिन कहीं न कहीं दुखों का पहाड़ भी टूटा है। हरीसिंह अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला था। उसने कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकियों व पाकिस्तान के खिलाफ कड़े से कड़ा कदम उठाया जाए।

राजगढ़ गांव में शहीद हरी सिंह का घर। -निस

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