टोपरा कलां में बना देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र
यमुनानगर, 2 जनवरी (हप्र)
एेतिहासिक स्थल है टोपरा कलां
अशोक स्तंभ 2300 साल पहले टोपरा कलां में स्थापित किया था। बौद्ध धर्म व सम्राट अशोक पर शोध कर रहे फोरम के अध्यक्ष सिद्धार्थ गौरी के अनुसार टोपरा कलां काफी प्राचीन स्थल है। तहरीके फिरोजशाही पुस्तक में वर्णन है कि अशोक स्तंभ करीब 2300 साल पहले टोपरा कलां में स्थापित किया गया। यहां से फिरोजशाह ने इसे दिल्ली के कोटला में स्थापित करवाया। इसके बाद से यह फिरोजशाह कोटला में स्थापित है। यहां के पार्क में प्रदेश की बुद्ध हिस्ट्री से जुड़े अभिलेख लगवाए जाएंगे। जिन्हें सात से आठ पिलर्स पर अंकित करवाया जाएगा।
70 बुद्धिष्ट देशों के राजनयिकों को बुलाने की मांग
इस स्थान को विकसित करने में लगी ग्राम पंचायत व दि बुद्धिष्ट फोरम ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है। इसमें इस स्थान के बारे में जानकारी देते हुए दुनिया के 70 बुद्धिष्ट देशों के राजनायिकों को आमंत्रित करने का अनुरोध किया गया है। इससे जहां यह स्थल अंतरराष्ट्रीय हो जाएगा, वहीं पर्यटन के रूप में भी इसका फायदा होगा।
देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र गांव टोपराकलां में बनकर तैयार हो गया है। इसका उद्धाटन पांच जनवरी को राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा करेंगे। करीब छह टन वजनी यह अशोक चक्र 30 फीट का है। इसे गोल्डन कलर से पेंट कर नार्थ-साउथ मेग्नेटिक फील्ड ग्रेविटी के हिसाब से स्थापित किया गया है। करीब एक एकड़ क्षेत्र में विकसित किए जा रहे इस स्थल पर एक कम्युनिटी सेंटर भी बनाया जाएगा, जहां पर पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में स्थापित अशोक चक्र का डुप्लीकेट गांव टोपरा कलां में स्थापित किया जा चुका है। साथ ही गांव में प्राचीन भारत की सभ्यता एवं संस्कृति के स्रोत एकत्रित कर विश्वविद्यालय बनाने पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। टोपरा कलां की पंचायत ने गांव में अशोक स्तंभ लगाने व पार्क बनाने के लिए दो एकड़ जमीन दी है।
यहां से स्तंभ दिल्ली ले गया था तुगलक
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में जो अशोक स्तंभ लगा हुआ है, वह गांव टोपरा कलां से ही ले जाया गया था।
इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अशोक ने गुजरात की गिरनार की पहाड़ियों में इस स्तंभ को बनवाया था, जिसकी लंबाई 42 फीट व चौड़ाई 2.5 फीट है। इस स्तंभ पर प्राचीन लिपि ब्राह्मी और प्राकृत भाषा में लिखी गई हैं। उनकी सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। देश का यह एकमात्र स्तंभ है, जिस पर सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। 1453 में फिरोजशाह तुगलक जब टोपरा कलां में शिकार के लिए आये तब उसकी नजर इस स्तंभ पर पड़ी। पहले वे इसे तोड़ना चाहते थे, लेकिन बाद में इसे अपने साथ दिल्ली ले जाने का मन बनाया। इस बात का वर्णन इतिहासकार श्यामे सिराज ने तारीकी फिरोजशाही में किया है।
एेतिहासिक स्थल है टोपरा कलां
अशोक स्तंभ 2300 साल पहले टोपरा कलां में स्थापित किया था। बौद्ध धर्म व सम्राट अशोक पर शोध कर रहे फोरम के अध्यक्ष सिद्धार्थ गौरी के अनुसार टोपरा कलां काफी प्राचीन स्थल है। तहरीके फिरोजशाही पुस्तक में वर्णन है कि अशोक स्तंभ करीब 2300 साल पहले टोपरा कलां में स्थापित किया गया। यहां से फिरोजशाह ने इसे दिल्ली के कोटला में स्थापित करवाया। इसके बाद से यह फिरोजशाह कोटला में स्थापित है। यहां के पार्क में प्रदेश की बुद्ध हिस्ट्री से जुड़े अभिलेख लगवाए जाएंगे। जिन्हें सात से आठ पिलर्स पर अंकित करवाया जाएगा।
70 बुद्धिष्ट देशों के राजनयिकों को बुलाने की मांग
इस स्थान को विकसित करने में लगी ग्राम पंचायत व दि बुद्धिष्ट फोरम ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है। इसमें इस स्थान के बारे में जानकारी देते हुए दुनिया के 70 बुद्धिष्ट देशों के राजनायिकों को आमंत्रित करने का अनुरोध किया गया है। इससे जहां यह स्थल अंतरराष्ट्रीय हो जाएगा, वहीं पर्यटन के रूप में भी इसका फायदा होगा।